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इसलिए मनाया जाता है Deen Dayal Upadhyay की जयंती पर अंत्योदय दिवस

भारतीय राजनीति के इतिहास में बहुत से प्रमुख नेता रहे है उन्हीं में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय भी है। उनकी जयंती को देश में हर साल अंत्योदय दिवस (Antyodaya Diwas) के तौर पर मनाया जाता है।

आज पिछड़े वर्ग के मसीहा कहे जाने वाले और राष्ट्रवादी नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय(Deen Dayal Upadhyay) की जयंती है। दीनदयाल उपाध्याय  का जन्म 25 सितंबर 1916 को यूपी के नगला चंद्रभान गांव मथुरा जिले में हुआ था। उनका बचपन बहुत ही संघर्ष में गुजरा था क्योंकि जब वह छोटे थे तब उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। उनका पालन पोषण उनके मामा ने किया था। जब वह बड़े हो गए तब उसके बाद वह आजीवन संघ के प्रचारक रहे। वह जनसंघ के नेता भी रहे थे जिसके दौरान मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई थी।

 

जन्मतिथि पर मनाया जाता है अंत्योदय दिवस

भारतीय राजनीति के इतिहास में बहुत से प्रमुख नेता रहे है उन्हीं में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय भी है। उनकी जयंती को देश में हर साल अंत्योदय दिवस (Antyodaya Diwas) के तौर पर मनाया जाता है। राजनीति में उन्होंने सजग भूमिका निभाई थी। साथ ही वह भारतीय जनसंघ (BJS) के सह-संस्थापक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारक थे।

क्या है अंत्योदय दिवस?

अंत्योदय शब्द का मतलब उत्थान है, जिससे तात्पर्य है समाज में मौजूद गरीब वर्ग का उत्थान करना। इस दिन का मुख्य उद्देश्य भारत के गरीब और पिछड़े लोगों के लिए विकास की आवश्यकता की ओर ध्यान खींचना है।

कैसे शुरू हुआ अंत्योदय दिवस?

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं 25 सितंबर 2014 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 98वीं जयंती के अवसर पर ‘अंत्योदय दिवस’ की घोषणा की थी। यह दिवस 25 सितंबर 2015 से आधिकारिक तौर पर हर साल मनाया जा रहा है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही सबसे पहले अंत्योदय का नारा दिया था।

दिल्ली में हुआ मूर्ति अनावरण

आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर दिल्ली में उनकी 63 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण किया गया है। ये मूर्ति दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय पार्क में बनी है। यह मिक्स मेटल से बनाई गई है।

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