उत्तराखंड में 10 हजार से अधिक नाबालिग गुमशुदा, 96 फीसदी बरामद
उत्तराखंड राज्य के गठन से अब तक पिछले 23 सालों में 10 हजार से ज्यादा नाबालिग गुमशुदा हुए है, जिनमें लड़के और लड़किया दोनों शामिल है । इसमें से 96 फीसदी को बरामद कर लिया गया है ।
उत्तराखंड राज्य में ह्यूमन ट्रैफिकिंग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में गठन के बाद से अभी तक, पिछले 23 सालों में 10 हजार से अधिक नाबालिग गुमशुदा हुए हैं। इन नाबालिगों में बालक एवं बालिकाएं दोनों शामिल है । 10 हजार में से अब तक लगभग 96 फीसदी को पुलिस ने बरामद कर परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ) अशोक कुमार ने मंगलवार को ऑपरेशन स्माइल की समीक्षा के दौरान यह जानकारी साझा की।
डीजीपी ने बताया कि राज्य में ह्यूमन ट्रैफिकिंग व अन्य कारणों की वजह से समय-समय पर ऑपरेशन स्माइल चलाया जाता है। इसके तहत 13 जिलों में कुल 26 टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों में एक एसआई और चार कांस्टेबल शामिल होते हैं।
पिछले 23 साल में गुमशुदा हुए लोगों और उनकी बरामदगी की समीक्षा करते हुए पाया गया कि 31 अगस्त तक 5662 बालक गुमशुदा हुए थे। इनमें से 5437 को बरामद कर लिया गया है। इसके साथ ही 4896 बालिकाएं लापता हुईं थीं। इनमें से पुलिस ने 4705 को ढूंढ निकाला है।
वहीं 12701 महिलाएं गायब हुई थीं, जिनमें से 11399 को ढूंढा जा चुका है। वही 13784 लापता पुरुषों में से 11174 पुरुषों को खोज लिया गया है ।
इस दौरान डीजीपी ने बताया कि एक सितंबर से फिर ऑपरेशन स्माइल शुरू कर दिया गया है। एक सितंबर से अब तक 568 गुमशुदा लोगों को बरामद किया जा चुका है। ऑपरेशन स्माइल की शुरूआत 2015 में की गई थी। इसके तहत अब तक 3823 लोगों को बरामद किया जा चुका है। हालांकि नाबालिगों की गुमशुदगी के पीछे ह्यूमन ट्रैफिकिंग के अलावा और भी कई कारण होते हैं ।
डीजीपी ने लोगों से अपील की है कि यदि उनके कोई परिचित या रिश्तेदार गुमशुदा हो जाए तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। पुलिस हर संभव प्रयास करेगी कि गुमशुदा व्यक्ति को जल्द से जल्द बरामद किया जाए।