पीयूष गोयल ने कहा : चंद्रयान के बाद गगनयान की बारी, जयराम का जवाब : आजादी के बाद से ही हो रही है तैयारी
नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। पीयूष गोयल ने बुधवार को राज्यसभा में भारत के गगनयान मिशन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि चंद्रयान मिशन के बाद अब भारत गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है।
पीयूष गोयल ने बताया कि गगनयान मिशन आने वाले वर्ष 2024 के लिए प्लान किया गया है। पीयूष गोयल ने इस दौरान राज्यसभा में चंद्रयान-3, आदित्य एल 1 मिशन, स्पेस मिशन में इस्तेमाल हो रही स्वदेशी तकनीक और इसरो के वैज्ञानिकों एवं कार्यकलापों का जिक्र किया।
इस पर जवाब कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने दिया। जयराम ने सर्वप्रथम इसरो के वैज्ञानिकों को चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि मानो यह उपलब्धियां केवल 2014 के बाद शुरू हुई है और इसके सूत्रधार केवल प्रधानमंत्री मोदी हैं।
जयराम ने पंडित जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के विक्रम साराभाई के साथ सहयोग की बात कही। देश की आजादी के बाद किए गए स्पेस रिसर्च कार्यक्रमों का जिक्र किया। उन्होंने 1963 में किए गए पहले परीक्षण का भी उल्लेख किया।
जयराम ने बताया कि पूर्व की सरकारें पूरी तरह इसरो और वैज्ञानिकों के साथ खड़ी रही हैं। इससे पहले नेता सदन पीयूष गोयल ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि यह नया उत्साहित भारत है।
गोयल ने कहा कि चंद्रयान-3 के बाद अब गगनयान मिशन उसको भी हम सफल बनाएंगे। उसके लिए भी हम सबको इसरो को शुभकामनाएं देनी चाहिए। हम सब मिलकर एक संदेश दें कि आगे आने वाले गगनयान के लिए भी इसरो सफल हो। पूरी तरह से इसरो सफल हो, हमारे वैज्ञानिक, जो पूरी लगन के साथ इसमें लगे हुए हैं, उन्हें हम यहां से शुभ संदेश दें।
पीयूष गोयल ने कहा कि स्पेस से जुड़ी रिसर्च भारत को काफी आगे लेकर जाएगी। स्पेस से जो आप सीखेंगे, चंद्रयान-3 की जो उपलब्धियां होगी, उससे आगे चलकर भारत का डाटा स्ट्रक्चर डेवलप होगा।
पीयूष गोयल ने इस दौरान भारत के आदित्य मिशन की भी चर्चा की। आदित्य मिशन एल 1, जो सूरज और भारत के बीच लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर जाकर स्टेशन होगा, वहां से सूरज और सूर्य की किरणों की ताकत को स्टडी करेगा।
गौरतलब है कि इसरो ने बताया है कि आदित्य एल-1 ने डेटा को एकत्र करने का काम शुरू कर दिया है। आदित्य मिशन जिन डेटा को एकत्र करेगा, उससे वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी।
–आईएएनएस
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