शिक्षा

भारत का अनोखा स्कूल जहां पैसा नहीं, प्लास्टिक की बोतल है फीस

भारत में ऐसी बहुत सी जगह है जिनकी अपनी अलग पहचान होती है। उनकी अपनी पहचान का कारण या तो कोई विशेषता होती है या फिर कोई खुद से शुरू की गई अनोखी पहल होती है। आज इस आर्टिकल में आप पढ़ेंगे एक ऐसे स्कूल के बारे में जहां फीस में पैसों की जगह 100 खाली प्लास्टिक की बोतल ली जाती है।

Education News: “इंसान की सफलता की पहली सीढ़ी शिक्षा है”। हम सभी जानते है कि हमारे जीवन में शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण होती है। समाज में बदलाव लाने के लिए या स्वयं के जीवन को बदलने के लिए शिक्षा (india education)ही एकमात्र जरिया होती है। वर्तमान समय में शिक्षा के महत्व के बारे में लगभग सभी लोग जानते है। हर मां-बाप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए अपनी इच्छाएं त्याग देता है।  

हमारे देश में पुराने समय से ही ज्ञान बांटना बहुत जरूरी और अच्छा कार्य माना जाता है। लेकिन आज के समय में शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले स्कूल केवल अपनी जेब भरना जानते है। ऐसे में कमजोर आर्थिक स्थिति होने के कारण बहुत से लोग अपने बच्चों की शिक्षा के खर्चे का भार नहीं उठा पाते है। जिसके चलते ऐसे अनगिनत होनहार बच्चे है जिन्हें शिक्षा नहीं मिल पाती है। 

सोशल मीडिया पर भारत का एक ऐसा स्कूल चर्चा में बना हुआ है, जो उन सभी महंगे शिक्षण संस्थानों के सामने मिसाल बनकर सामने आया है। असम (assam news)राज्य के फेमस शहर गुवाहाटी में एक ऐसा स्कूल है जो अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बनकर उभरा है। यहां पढ़ने वाले बच्चे फीस में पैसों के तौर पर खाली प्लास्टिक की बोतल देते है। 

इसलिए बनाया है स्कूल

गुवाहाटी (guwahati)के अक्षर स्कूल की स्थापना वर्ष 2016 में पड़ोसी गांव में रहने वाले कपल वरमीता शर्मा और मज़िन मुख्तार ने की थी। गांव में बढ़ती प्लास्टिक की गंदगी और अशिक्षा के कारण दोनों ने इस स्कूल को बनाने का फैसला लिया था। जिसमें उन्होंने सभी बच्चों को हफ्ते में 25 खाली प्लास्टिक की बोतल इकट्ठा करने को कहा है।

पढ़ाई के साथ-साथ कमाई भी

इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ कमाई भी करते है। स्कूल में फीस के तौर पर इकट्ठी हुई बोतलों को रिसाइकिल किया जाता है। जिसमें उस प्लास्टिक की बोतल से ईंट, रोड और अन्य काम आने वाली वस्तुएं बनाई जाती है। जिन्हें बेचकर बच्चे पैसे भी कमा लेते है। इसके साथ-साथ सभी बड़े बच्चों को सिलाई, कारपेन्ट्री, गार्डनिंग  जैसी एक्स्ट्रा एक्टिविटी भी सिखाई जाती है। यह स्कूल आज के समय में बड़े-बड़े फेमस शिक्षण संस्थानों के सामने माइलस्टोन स्थापित कर रहा है। देशभर में अन्य राज्यों को भी इससे सीख लेनी चाहिए।

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