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अनंतनाग मुठभेड़ में कर्नल मनप्रीत सिंह शहीद, सुबह ही हुई थी घर पर बात

बुधवार को अनंतनाग के गरोल इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के बाद कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनैक और DSP हिमायूं भट गंभीर रूप से घायल हो गए थे । इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

भारतीय सेना के एक बहादुर अधिकारी कर्नल मनप्रीत सिंह के निधन पर देश शोक मना रहा है, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग इलाके में आतंकवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ के दौरान कर्तव्य का पालन करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। यह दुखद घटना बुधवार को सामने आई, जिससे उनके परिवार, दोस्तों और पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

बुधवार को अनंतनाग के गरोल इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के बाद कर्नल सिंह, मेजर आशीष धोनैक और DSP हिमायूं भट गंभीर रूप से घायल हो गए। अधिकारियों के मुताबिक, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। एक जवान की भी मौत हो गई और दूसरे जवान का अभी तक पता नहीं चल पाया है।

बुधवार तड़के जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए तीन सुरक्षाकर्मियों में शामिल कर्नल मनप्रीत सिंह ने उस दिन सुबह 6:45 बजे आखिरी बार अपने परिवार के सदस्यों से बात की थी।

पंजाब के मोहाली के रहने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह मंगलवार शाम को शुरू हुए आतंकवाद विरोधी अभियान में अपनी बटालियन का नेतृत्व कर रहे थे। ऑपरेशन बुधवार सुबह तक जारी रहा । मुतभेड़ में कर्नल सिंह को गंभीर चोटें लगीं और बहादुरी से लड़ने हुए वो गंभीर रूप से घायल हो गए, इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

उनके निधन की खबर से उनके गांव, भदौंजिया, जहां उनका परिवार रहता है, में शोक की लहर दौड़ गई। 41 वर्ष के कर्नल सिंह दूसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी थे, जो अपने दादा शीतल सिंह, पिता स्वर्गीय लखमीर सिंह और चाचा रणजीत सिंह की विरासत को आगे बढ़ा रहे थे, जो सभी भारतीय सेना में कार्यरत थे।

कर्नल अपने पीछे एक दुःखी परिवार छोड़ गए हैं, जिसमें उनकी पत्नी, जगमीत कौर, जो हरियाणा शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं, और उनके दो छोटे बच्चे, एक छह साल का बेटा और दो साल की बेटी शामिल है।

कर्नल मनप्रीत सिंह के साथ उनके घरवालों की आखिरी बातचीत बुधवार सुबह 6:45 बजे, घातक मुठभेड़ से कुछ घंटे पहले हुई थी। उन्होंने अपने परिवार को सूचित किया कि वह अभी ऑपरेशन में व्यस्त हैं, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह बाद में उनसे बात करेंगे। दुख की बात है कि वह ‘बाद वाला’ समय कभी नहीं आया, दोपहर में जब उनके निधन की खबर आई तो उनके गांव में दुख का माहौल छा गया।

कर्नल सिंह 17 वर्षों की सेवा के साथ एक प्रतिष्ठित अधिकारी थे। 2021 में, उन्हें जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को ढेर करने की उनकी वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया था। उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ लगभग पांच साल बिताए, पहले सेकंड-इन-कमांड के रूप में और बाद में कमांडिंग ऑफिसर के रूप में। राष्ट्रीय राइफल्स के साथ उनका कार्यकाल चार महीने में समाप्त होने वाला था।

देश न केवल कर्नल मनप्रीत सिंह, बल्कि मेजर आशीष धोनक और DSP हुमायूं भट के निधन पर भी शोक मना रहा है, जिन्होंने उसी ऑपरेशन के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान दिया । इन वीर जवानों ने अग्रिम मोर्चे से नेतृत्व करते हुए, अटूट वीरता का परिचय देते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये।

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