उत्तराखंड: मलीन बस्ती के लोगों को नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ
देहरादून – प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उत्तराखंड की 582 मलिन बस्तियों में रहने वाले करीब 11 लाख लोगों में से एक व्यक्ति को भी पक्का घर नसीब नहीं हो पाया हैं। बता दें कि उत्तराखंड के 63 नगर निकायों में 582 मलिन बस्तियों में करीब 11,71,585 लोग रहते हैं।
इनमें 36 फीसदी बस्तियां निकायों जबकि दस प्रतिशत राज्य और केंद्र सरकार, रेलवे व वन विभाग की भूमि पर हैं। बाकी 44 प्रतिशत बस्तियों ने निजी भूमि पर अतिक्रमण किया है।
मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए 2015 में शुरू हुई पीएम आवास योजना में ”इन सिटी” कार्यक्रम के तहत घर बनाने का प्रावधान किया गया था। इसके लिए निकायों को प्रस्ताव बनाकर शहरी विकास निदेशालय के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजना था।
लेकिन प्रदेश का कोई भी नगर निकाय इसका प्रस्ताव नहीं बना पाया। नतीजतन, केंद्र सरकार ने इस योजना से मलिन बस्तियों को बाहर कर दिया है। केंद्र सरकार प्रति आवास एक लाख रुपये की मदद देती है। सभी आवास पीपीपी मोड में बनने थे। गरीबों के लिए बेहद लाभकारी इस योजना के तहत सात साल में एक भी निकाय ने प्रस्ताव ही नहीं भेजा।
सहायक निदेशक,शहरी विकास राजीव पांडे का कहना है कि पीएम आवास योजना के तहत मलिन बस्तियों के पुनर्वास की योजना पीपीपी मोड में संचालित होनी थी। साथ ही इसके लिए मलिन बस्तियों का मान्य होना जरूरी था। इन दो वजहों से इसमें प्रस्ताव नहीं आ पाए।
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