Climate Change : 20 मीटर प्रतिवर्ष की गति से पिघल रहा है गंगोत्री ग्लेशियर

जलवायु परिवर्तन या क्लाइमेट चेंज ! बीते कुछ सालों से दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं । आलम ये है की वैज्ञानिक कई बार मौसम का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं । जलवायु परिवर्तन से पिछले कुछ सालों में बड़ी तेजी से पृथ्वी पर कई असाधारण बदलाव हुए हैं, हर दिन जलवायु परिवर्तन से संबंधित शोध और खुलासे सुर्खियों में आ जाते हैं । इसी क्रम में अब एक और नया चौंका देने वाला खुलासा हुआ है । खुलासा ये है की जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर के ग्लेशियर 10 मीटर पीछे खिसक रहे हैं ।

हिमालय भू-विज्ञान संस्थान की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है ।

दरअसल हिमालय भू-विज्ञान संस्थान ने लद्दाख के तीन ग्लेशियरों (पेंसिलुंगपा, द्रुंग-द्रुंग और प्रकाचिक) पर गहन अध्ययन किया । जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है, हालांकी संस्थान की विस्तृत रिपोर्ट अभी आनी बाकी है ।

गंगोत्री ग्लेशियर के पिघलने की गति 20 मीटर प्रतिवर्ष-

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अनुसार उत्तराखंड में मौजूद गंगोत्री ग्लेशियर 20 मीटर प्रतिवर्ष की गति से पिघल रहा है । वहीं डोकरानी ग्लेशियर 18 मीटर प्रतिवर्ष की गति से पिघल रहा है ।

उत्तराखंड में कुल 968 ग्लेशियर हैं । वैज्ञानिकों के अनुसार इन सभी ग्लेशियर्स के पिघलने की गति साधारण से तेज आंकी जा रही है ।

जानकारी के मुताबिक यूनेस्को संरक्षित नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व के तहत आने वाली चोटियों के आठ से अधिक ग्लेशियर 37 साल (वर्ष 1970 से 2017) में 26 वर्ग किलोमीटर पीछे खिसके हैं। इनके पीछे खिसकने की दर पांच से 30 मीटर प्रतिवर्ष पाई गई।

अर्थात इन ग्लेशियरों का आकार पहले जितना बड़ा था उनका 10 फिसदी भाग पिघल चुका है ।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button