तीन बिजली परियोजनाओं पर सरकार का फोकस, राज्य ने खटखटाया केंद्र का दरवाजा

प्रदेश में प्रस्तावित तीन जल विद्युत परियोजनाओं पर काम शुरू करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र का दरवाजा खटखटाया है। सरकार का कहना है कि इन बिजली परियोजनाओं के बनने से उत्तराखंड के साथ ही अन्य राज्यों की विद्युत जरूरतों पूरी हो सकेंगी। प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण को लेकर धामी सरकार गंभीर नगर आ रही है। सरकार की प्राथमिकता में तीन बड़ी परियोजनाएं हैं जिनमें 1260 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। इन परिजोयनाओं में 660 मेगावाट क्षमता की किसाऊ बांध परियोजना , 300 मेगावाट क्षमता की लखवाड़ परियोजना और 300 मेगावाट क्षमता की बावला नंदप्रयाग परियोजना शामिल है।
600 मेगावाट क्षमता की किसाऊ बांध परियोजना देहरादून के निकट टोंस नदी पर प्रस्तावित है।

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यह परियोजना उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश का सझा प्रोजक्ट है। इस परियोजना से बिजली उत्पादन के साथ ही उत्तराखंड के अलावा हिमाचल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली को पीने के पानी एवं सिंचाई का पानी उपलब्ध होगा। प्रदेश के ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि परियोजना पर जनसुनवाई का काम पूरा हो चुका है जिसके बाद परियोजना में होने वाले खर्च को लेकर राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि अगले छह माह में इस परियोजना को टेंडर फेज में लाने का लक्ष्य रखा गया है।

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दूसरी प्रमुख परियेजना लखवाड़ परियोजना की बात करें तो देहरादून के निकट यमुना नदी पर प्रस्तावित 300 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना को सन 1976 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन 1992 में इसका काम रुक गया था। इस परिजोजना के तहत यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा बांध बनना है। परियोजना का काम उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड देख रही है। इसके टेंडर भी जारी हो चुके हैं, वलेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।

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तीसरी प्रमुख परिजोजना बावला जल विद्युत परियोजना चमोली जिले में नंदप्रयाग में अलकनंदा पर प्रस्तावित है। 300 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना पर भी जनसुनवाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। इस परियोजना का निर्माण उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) को सौंपा गया है।

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