आजाद भारत के पहले वोटर श्याम सरन नेगी,दुनिया को अलविदा कह गए
किन्नौर (हिमाचल प्रदेश) स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता 106 वर्षीय श्याम सरन नेगी का आज (शनिवार) सुबह उनके पैतृक स्थान कल्पा में निधन हो गया। किन्नौर के डीसी आबिद हुसैन सादिक ने श्याम सरन नेगी के निधन की पुष्टि की है। डीसी ने कहा कि मास्टर श्याम सरन नेगी आज दुनिया को अलविदा कह गए। ऐसे में आज उनका सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने श्याम सरन नेगी के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता एवं किन्नौर से संबंध रखने वाले श्याम सरन नेगी जी के निधन की खबर सुनकर दुःखी हूं।
स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता एवं किन्नौर से संबंध रखने वाले श्याम सरन नेगी जी के निधन की खबर सुनकर दुःखी हूं।
उन्होंने अपना कर्तव्य निभाते हुए 34वीं बार बीते 2 नवंबर को ही विधानसभा चुनाव के लिए अपना पोस्टल वोट डाला, यह याद हमेशा भावुक करेगी।
ॐ शांति!
— Jairam Thakur 🇮🇳 (@jairamthakurbjp) November 5, 2022
आजाद भारत के पहले वोटर श्याम सरन नेगी (106) ने बुधवार को 34वीं बार मताधिकार का प्रयोग किया। उन्होंने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए पोस्टल बैलट के जरिए मतदान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी तारीफ करते हुए कहा कि यह युवा मतदाताओं के चुनाव में भाग लेने के लिए प्रेरणा के रूप में काम करेगा। नेगी ने पहली बार 1951-52 के चुनाव में हिस्सा लिया था जो देश का पहला चुनाव था।
कौन थे श्याम शरण नेगी ?
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, रिटायर्ड स्कूल टीचर श्याम शरण नेगी का जन्म एक जुलाई 1917 को हुआ था। 106 साल की उम्र में निधन से पहले उन्होंने हिमाचल चुनाव में वोट डाला। उन्होंने पहली बार जब वोट किया था, तब वह 33 साल के थे। तब से लेकर मरने से पहले तक उन्होंने कभी भी अपना वोट बेकार नहीं किया। किन्नौर के कलपा कस्बे के रहने वाले श्याम शरण स्कूल से टीचर के पद से 51 साल पहले रिटायर थे। पहली बार वह 1951 में वोटिंग का हिस्सा बने थे।
कैसे बने थे पहले वोटर ?
दरअसल भारत का पहला चुनाव फरवरी 1952 में हुआ लेकिन हिमाचल प्रदेश में सुदूर, आदिवासी इलाकों में खराब मौसम के कारण सर्दियों के दौरान मतदान कराना असंभव था। ऐसे में वहां मतदान 23 अक्टूबर 1951 को पांच महीने पहले हो गया। तब श्याम शरण नेगी स्कूल अध्यापक थे और चुनावी ड्यूटी पर थे। इसके कारण वे अपना वोट डालने सुबह सात बजे किन्नौर में कल्पा प्राथमिक स्कूल में अपने मतदान केंद्र पर पहुंच गए। श्याम शरण नेगी वहां पहुंच कर मतदान करने वाले पहले व्यक्ति थे। इसके बाद उन्हें बताया गया कि इलाके में कहीं भी सबसे पहले वोट डालने वाला वे ही हैं।
आखिरी बार क्या कहा था ?
2 नंवबर को वोट डालने के बाद देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी ने कहा था कि देश को अंग्रेजों और राजाओं के राज से आजादी मिली थी। आज लोकतंत्र के इस महापर्व में हर व्यक्ति को देश के विकास करने वाले व्यक्ति को चुनने की आजादी दी है और आज स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण मैंने अपने मत का प्रयोग घर पर ही किया है। सभी लोकतंत्र के महापर्व मे अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है।
कल्पा से की पांचवीं तक पढ़ाई
देश में 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे। क्योंकि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में चुनाव के दौरान भारी बर्फबारी होने का अंदेशा था। इसलिए किन्नौर में छह महीने पहले 1951 में ही वोट डाले गए थे और मास्टर नेगी ने पहला वोट कास्ट किया था। श्याम शरण नेगी 10 साल की उम्र में स्कूल गए और पांचवीं तक की पढ़ाई कल्पा में की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए रामपुर गए. रामपुर जाने के लिए पैदल तीन दिन लगते थे. नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई रामपुर से की। उम्र ज्यादा होने से 10वीं कक्षा में प्रवेश नहीं मिला और 1940 से 1946 तक वन विभाग में वन गार्ड की नौकरी की। उसके बाद शिक्षा विभाग में चले गए और कल्पा लोअर मिडिल स्कूल में अध्यापक बने। मास्टर नेगी का जन्म 1917 में हुआ था।