स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी साबित होता उत्तराखंड, देशभर में मिली 35वीं रैंक
स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड का नाम एक बार फिर फिसड्डी राज्यों की श्रेणी में आया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी ‘परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) रिपोर्ट 2020-21’ में उत्तराखंड को देशभर में 35 वीं रैंक मिली है।
इस रिपोर्ट में देश के सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन को एक समान पैमाने पर आंका गया है। रिपोर्ट में दादरा नगर हवेली और दमन और दीव का अलग-अलग मूल्यांकन किया गया है, हालांकि अब दोनों का एक केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में विलय हो चुका है। निराशाजनक बात यह है कि उत्तराखंड के प्रदर्शन में वर्ष 2019-20 के मुकाबले 8 स्थानों की गिरावट आई है। 2019-20 में उत्तराखंड ने 27 वीं रैंक हासिल की थी। उत्तराखंड से नीचे केवल मेघालय और अरुणांचल प्रदेश हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक केरल, पंजाब और चंडीगढ़ ने क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है। महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान को चौथी, पांचवी और छठी रैंक मिली है।
बीते रोज केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षण सत्र 2020-21 की परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स रिपोर्ट जारी की।
परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शिक्षा व्यवस्था का अकलन करने वाला इंडेक्स है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्। 2017-18 से यह इंडेक्स जारी किया जा रहा है।
इस इंडेक्स में राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों का प्रदर्शन मापने के लिए स्कूलों में बुनियादी ढाचें का निर्माण, स्कूलों में उपलब्ध सुविधाएं, प्रशासनिक कौशल और सिखाने के परिणाम को पैमाना बनाया गया है।
स्कूली शिक्षा की परफारमेंस जानने के लिए राज्यों को विभिन्न बैंड स्तरों पर वर्गीकृत किया गया था जिसमें 951 से 1000 तक के स्कोर को लेवल 1 में रखा गया । 550 से कम स्कोर को सबसे निचले लेवल 10 में रखा गया।
रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य देश के सभी 28 राज्यों और 9 केन्द्रशासित प्रदेशों को अपने प्रदर्शन में सुधार करने के लिए प्रेरित करना है।