इस मंदिर में भगवान शिव ने किया था विष ग्रहण

उत्तराखंड की खूबसूरती की जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है। प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही यहाँ कई धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं। जहाँ के साक्ष्य बनने दुनियाभर से पर्यटक यहाँ आते हैं। ऋषिकेश में ऐसा ही एक धार्मिक और पर्यटक स्थल है,जोकि हिमालय पर्वतों के तल में बसा है, इसका नाम है नीलकंठ महादेव मंदिर। जो उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्औयटन स्रथल सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है।

मान्यताओं के अनुसार भागवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया था। जिस वक्त उनकी पत्नी यानि माता  पार्वती ने उनके गले में ही उस विष को रोक दिया था, जिससे विष उनके पेट तक न पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में रुका रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। और इसी वजह से उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था।

अत्यन्त प्रभावशाली यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर परिसर में पानी का एक झरना भी है, जहाँ शिव भक्त मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं। ये मंदिर ऋषिकेश से लगभग 3500 फीट की ऊँचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। नीलकंठ महादेव मंदिर की नक़्क़ाशी देखते ही बनती है।

इसकी खास बात यह है कि अत्यन्त मनोहारी मंदिर शिखर के तल पर समुद्र मंथन के दृश्य को चित्रित किया गया है, और गर्भ गृह के प्रवेश-द्वार पर एक विशाल पेंटिंग में भगवान शिव को विष पीते हुए भी दिखलाया गया है। इसके अलावा सामने की पहाड़ी पर शिव की पत्नी, माँ पार्वती का भी मंदिर स्थित है। आयदिन इस मंदिर में भक्तों का ताँता लगा ही रहता है, और दूर दूर से भक्त यहाँ दर्शन करने पहुँचते हैं।

 

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