गजवा-ए-हिंद के संदिग्धों की गिरफ्तारी से उठे पुलिस के वेरिफिकेशन अभियान पर सवाल

बीते रोज हरिद्वार से गजवा-ए-हिंद के जुड़े दो संदिग्धों की गिरफ्तारी ने प्रदेश में पुसिल वैरिफिकेशन अभियान को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
गिरफ्तार किए गए दो संदिग्धों में से एक बांग्लादेश का नागरिक है जो लंबे समय से हरिद्वार में रह कर गजवा-ए-हिंद के लिए काम कर रहा था। अलीनूर नाम के इस बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तारी से सवाल उठना लाजमी है कि हरिद्वार जैसे संवेदनशील क्षेत्र में यह व्यक्ति इतने लंबे समय से आखिर कैसे रह रहा था ? आखिर पुलिस वैरिफिकेशन में इसके विदेशी होने की पहचान क्यों उजागर नहीं हो पाई ?
बीते रोज उत्तर प्रदेश एटीएस और उत्तराखंड एसटीएफ के संयुक्त ऑपरेशन में हरिद्वार से आतंकी संगठन गजवा-ए-हिंद के दो संदिग्ध पकड़े गए थे, जिनमें बांग्लादेशी मूल के अलीनूर के साथ ही रुड़की के नगला इमरती क्षेत्र का रहने वाला मुदस्सिर शामिल है। आशंका जताई जा रही है कि कि ये दोनों संदिग्ध लंबे समय से हरिद्वार के कुछ खास इलाकों में युवाओं को गजवा-ए-हिंद विचारधारा से जोड़ने में लगे हुए थे।
सूत्रों के मुताबिक इन संदिग्धों को टेरर फंडिंग के जरिये भारी मात्रा में पैसा भी मिल रहा था, जिससे ये हरिद्वार में लोकल मॉड्यूल तैयार कर रहे थे।
हरिद्वार में बांद्लादेशी मूल के संदिग्ध का पकड़ा जाना इसलिए भी गंभीर है क्योंकि पुलिस द्वारा हरिद्वार सहित प्रदेश के तमाम संवेदनशील क्षेत्रों में लगातार सत्यापन अभियान चलाए जाने की बात कही जाती है। बावजूद इसके बांग्लादेशी मूल का संदिग्ध लंबे समय से हरिद्वार में रह रहा था।
इस घटना के बाद हरिद्वार में सघन चेकिंग और सत्यापन अभियान के निर्देश दिए गए हैं।

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