उत्तरकाशी एवलांच हादसा : सूबेदार अनिल को दूसरी बार मिला नया जीवन
उत्तरकाशी जिले के द्रौपदी का डांडा एवलांच हादसे में सुरक्षित बच निकलने वाले सूबेदार अनिल कुमार को दूसरी बार नया जीवन मिला है। उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) में प्रशिक्षक के तौर पर तैनात सूबेदार अनिल कुमार करीब 12 साल पहले जम्मू कश्मीर के गुलमर्ग में इसी तरह के एवलांच हादसे में सुरक्षित बचने में कामयाब रहे थे। उन्होंने बताया कि 12 वर्ष के अंतराल में उनका बड़े एवलांच से दो बार सामना हो चुका है।
अनिल कुमार ने बताया कि साल 2010 में वे जवाहर पर्वतारोहण संस्थान (जिम) गुलमर्ग में तैनात थे। तब करीब 250 प्रशिक्षुओं का दल हिमस्खलन की चपेट में आया था, जिसमें 18 प्रशिक्षुओं की मौत हुई थी। उस वक्त अनिल कुमार सुरक्षित बचने में कामयाब रहे थे। एक बार फिर उनका 4 अक्टूबर को एवलांच से सामना हुआ।
सूबेदार अनिल द्रौपदी का डांडा में ट्रेनिंग के लिए निकले दल का नेतृत्व कर रहे थे। दो दिन पहले यह दल भारी एवलांच में फंस गया था। इस हादसे में 10 ट्रैकर्स की मौत की पुष्टि हुई है। 22 ट्रैकर्स अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
इस हादसे में सुरक्षित बच निकलने के बाद सूबेदार अनिल कुमार ने बताया कि द्रौपदी का डांडा पर्वत पर ट्रैकिंग के दौरान वे सबसे आगे रस्सी बांध रहे थे और बाकी लोग उनके पीछे चल रहे थे। उन्होंने बताया कि एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल और नवमी रावत प्रशिक्षुओं की लाइन के बीच में थीं। उन्होंने बताया कि मौसम साफ होने के बावजूद अचानक करीब 100 मीटर लंबे हिस्से में हिमस्खलन हुआ और वो प्रशिक्षुओं के साथ 50 मीटर गहरे क्रेवास में गिर गए।
उन्होंने बताया कि इस दौरान किसी तरह से वे छिटकने में कामयाब रहे जिसके बाद उन्होंने दो सदस्यों, राकेश राणा और दिगंबर के साथ मिलकर क्रेवास में उतरने के लिए रस्सी बांधी और वहां फंसे कुछ प्रशिक्षुओं को निकाला गया। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षक सविता कंसवाल और नवमी रावत को क्रेवास के अंदर से निकाला गया, लेकिन दोनों की मौत पहले ही हो चुकी थी।