एवरेस्ट विजेता पर्वतारोही सविता की एवलांच में दबने से मौत
- इसी साल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर लहराया था तिरंगा
- उत्तरकाशी सविता नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की एक कुशल प्रशिक्षक थी। इसी साल 12 मई को सविता ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) पर तिरंगा फहराया था।
उत्तरकाशी के लोंथरु गांव की निवासी पर्वतारोही सविता कंसवाल की निम हादसे में मौत हो गई है। सविता ने इसी साल मई माह में 15 दिन के अंदर एवरेस्ट और माउंट मकालू पर्वत सफल आरोहण कर नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम किया था। मंगलवार सुबह द्रौपदी का डांडा चोटी में निम के एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स में गए प्रशिक्षकों में शामिल पर्वतारोही सविता की एवलांस में दबने से मौत हो गई।
प्रधानाचार्य अमित बिष्ट ने हादसे में एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल की मौत की पुष्टि की। सविता उत्तरकाशी जनपद की एक उभरती हुई पर्वतारोही थी। जिसने बेहद कम समय में पर्वतारोहण के क्षेत्र में अपना नाम बनाया था। सविता ने नेहरु पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स किया था। सविता नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की एक कुशल प्रशिक्षक थी। इसी साल 12 मई को सविता ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) पर तिरंगा फहराया था।
इसके 15 दिन बाद सविता ने माउंट मकालू (8463 मीटर) पर भी सफल आरोहण किया था। उसकी सफलता से उसके क्षेत्र और जनपदभर में खुशी की लहर थी। वहीं मंगलवार देर शाम सविता की मौत की खबर आने के बाद उसके गांव सहित जनपदभर में शोक की लहर फैल गई है। चार के शव बरामद ,26 लापता
द्रौपदी का डांडा में प्रशिक्षकों समेत 34 प्रशिक्षु पर्वतारोही एवलांच की चपेट में आए। इनमें कुछ एवलांच में दबे हैं और ग्लेशियर के बीच में बड़ी दरारों (क्रेवास) में अभी फंसे हुए हैं। एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल समेत चार के शव बरामद कर लिए हैं। चार घायलों को भी निकाला है। इस 42 सदस्यीय दल के 26 व्यक्ति अभी लापता बताए जा रहे है।