पितृ पक्ष आज से शुरु, जाने क्यों कराया जाता है कौओं को भोजन ?

आज से पितृ पक्ष शुरू हो गया है और इसका समापन 25 सिंतबर 2022 को होगा. इस दौरान पितरों की तिथि के अनुसार उनका तर्पण किया जाता है और उनका मनपसंद खाना भी बनाया जाता है. पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दान दिया जाता है. इस दौरान लोग पितरों के नाम पर कौओं को भोजन कराते है. हिंदू धर्म में कौओं को पितरों का दर्जा दिया गया है.

कौओं को क्यों कराया जाता है भोजन

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितर कौओं के रूप में धरती पर आते हैं. शास्त्रों में इस बात का जिक्र किया गया है कि देवताओं के साथ ही कौए ने भी अमृत को चखा था. जिसके बाद से ही ये माना जाता है कि कौओं की मौत कभी भी प्राकृतिक रूप से नहीं होती है. कौए बिना थके लंबी दूरी की यात्रा कर सकते हैं. ऐसे में किसी भी तरह की आत्मा कौए के शरीर में वास कर सकती है और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकती है. इन्हीं कारणों से पितृ पक्ष में कौओं को भोजन कराया जाता है. इसके अवाला धार्मिक मान्याओं के मुताबिक, जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसका जन्म कौआ योनि में होता है. इस वजह से भी कौओं के जरिए पितरों को भोजन कराया जाता है.

एक मान्यता ये भी है कि इंद्र देव के बेटे जयंत ने कौए का रूप धारण किया था. उस कौए ने एक दिन सीता माता के पैर में चोंच मार दी, इस पूरी घटना को राम जी देख रहे थे. उन्होंने एक तिनका फेंका जो कौए की एक आंख में जाकर लग गया. इससे कौए की एक आंख खराब हो गई. उस कौए ने श्री राम से अपनी गलती के लिए माफी मांगी. जिसके बाद भगवान राम ने उसे आशीर्वाद दिया कि पितृ पक्ष में कौए को दिए गया भोजन पितृ लोक में निवास करने वाले पितर देवों को प्राप्त होगा.

बता दें कि पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है।

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