चंपावत – 15 किलोमीटर की कठिन दुर्गम यात्रा के साथ आषाढी वायुरथ महोत्सव का हुआ समापन
चंपावत – बिना रस्सों के सहारे दुर्गम रास्तों को पार कर वायुरथ ने 15 किलोमीटर की पांच गांव सुंई बीस गांव बिशुंग की परिक्रमा की, साथ ही पांच दिवसीय वायरस महोत्सव का समापन हुआ। सुंई बिशुंग के आषाढ़ी वायुरथ महोत्सव के अंतिम दिन मां भगवती की वायुरथ यात्रा निकली। जिसमें हजारों लोगों ने भाग लेकर माँ का आशीर्वांद लिया।
आपको बता दें कि चारद्योली के समस्त आयुधों को देवडांगरों द्वारा आदित्य महादेव मंदिर में लाया गया। हवन यज्ञ के बाद दूध व पवित्र जल से स्नान कराकर देव डांगरों ने अवतरित होकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। मंदिर में पारंपरिक पूजा संपन्न होने के बाद सभी देवडांगरों को अंगवस्त्र भेंट किए गए। उसके बाद यहां माँ भगवती की गुप्त प्यौली को यहां के आदित्य महादेव मंदिर प्रांगण में परिक्रमा कराई गई। माँ भगवती के रथ ने अपने 52 बेतालों एवं 64 योगनियों के साथ बिना रस्सों के सहारे वायुरथ यात्रा प्रारंभ की।
वायुरथ को मंदिर से गलचौड़ा, पऊ, चनकांडे, डुंगरी से होते हुए द्यौलागढ़ में लाया गया। जहां देवडांगरों द्वारा चावल और दूध की गाल खाई गई। उसके बाद खैसकांडे होते हुए उख्खा कोट की दुर्गम पहाड़ी को पार करते हुए बीस गांव बिशुंग की परिक्रमा के लिए निकला। बेतालों ने जगह जगह दूध व चावल की गाल खाई। जगह जगह सैंकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा माँ भगवती की रथ यात्रा में अक्षत व पुष्प वर्षा की गई। जैसे ही वायुरथ बिशुुंग क्षेत्र में पहुंचा समूचा वातावरण माँ के जयकारे से गूंज उठा।
बिशुंग टाक में कुछ देर के लिए वायु रथ रूका, जहां देव डांगरों ने स्नान किया। रथ में सुंई बिशुंग के लोगों ने अपने निर्धारित स्थानों से कंधा दिया। उसके बाद रथ देर रात सुंई के आदित्य महादेव मंदिर पहुंचा, जहां माँ भगवती एवं आदित्य महादेव की संयुक्त पूजा अर्चना व आरती की गई। आरती करने के बाद प्यौला अपने गंतव्य स्थान मां भगवती मंदिर चौबेगांव की ओर ले जाया गया।
प्रसाद वितरण व देवडांगरों द्वारा मनोकामना, सुख, शांति, समृद्धि का आशीर्वाद दिया। वही मंदिर समिति अध्यक्ष श्याम चौबे ने महोत्सव के सफल आयोजन के लिए सुई,बिसुंग व लोहाघाट क्षेत्र की जनता को धन्यवाद दिया।