देहरादून: डेंगू से निपटने के लिए उत्तराखंड में अभी तक पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। राजधानी देहरादून में कुछ अस्पतालों में डेंगू के मरीजों के लिए अलग वार्ड बना दिए हैं, और जांच की सुविधा भी है, लेकिन अन्य जिलों के अस्पतालों में अभी तैयारियां शुरू नहीं हो पाई हैं। नियमित फॉगिंग तक नहीं हो पा रही है।
टिहरी जिले में सभी जगह पर्याप्त फॉगिंग नहीं हो रही है। नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में तो फॉगिंग की जा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। डेंगू की पहचान के लिए जिला अस्पताल में अलग वार्ड बनाया गया है। रेपिड टेस्ट की व्यवस्था है पर एलाइजा टेस्ट की सुविधा नहीं है। ऐसी स्थिति में सैंपल देहरादून या पौड़ी भेजा जाएगा। सीएचसी देवप्रयाग व घनसाली में तो अलग वार्ड तक नहीं बन पाए।
वहीं सीएचसी कोट में अभी डेंगू टेस्ट किट ही नहीं है। मच्छरदानी, आइसोलेशन वार्ड और दवाइयां आदि उपलब्ध हैं। पौड़ी के सीएमओ डॉ प्रवीण कुमार ने बताया कि डेंगू से निपटने के लिए सभी इंतजाम हैं। जहां टेस्ट किट नहीं पहुंची हैं, वहां भी उपलब्ध करा दी जाएगी। नैनीडांडा में हीमोरेजिक केस के लिए प्लाज्मा चढ़ाने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। प्लाज्मा की आवश्यकता पड़ने पर नजदीक के हायर सेंटर में रेफर करना होता है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ज्वालापुर में डेंगू की दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं। अस्पताल में डेंगू वार्ड भी नहीं बनाया गया है। मरीजों के लिए अस्पताल में मच्छरदानी भी उपलब्ध नहीं है। अस्पताल में खिड़की के पास पानी जमा हो रहा है। कनखल के अधिकांश क्षेत्रों आौर ज्वालापुर क्षेत्र में भी फॉगिंग नहीं की जा रही है। नगर निगम के पास फागिंग की मशीनें कम है। 25 अतिरिक्त मशीनों के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
पिथौरागढ़ जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास डेंगू जांच के लिये पर्याप्त मात्रा में एलाइजा किट उपलब्ध है। जिला अस्पताल के पीएमएस डॉ. जेएस नबियाल ने बताया कि डेंगू के रोगियों के लिए अलग से आइसोलेसन वार्ड बनाया गया है। प्रत्येक बेड में अलग अलग मच्छरदानी लगाई गई है। डेंगू को लेकर सभी व्यवस्थाएं की गई हैं।