हाईकोर्ट ने दिया आदेश, एससीएसटी आयोग को खनन मामलों में दखल का अधिकार नहीं
नैनीताल – राज्य में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अनुसूचित जाति जनजाति आयोग को खनन मामलों में दखल का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने पिथौरागढ़ के डीएम को निर्देश दिए हैं कि वह शासन की संस्तुति के आधार पर याचिकाकर्ता को खनन की अनुमति दें। सुनवाई के दौरान डीएम पिथौरागढ़ व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए। उनकी ओर से शपथपत्र पेश कर कहा गया कि उत्तराखंड अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के आदेश के तहत ही याचिकाकर्ता को खनन कार्य की अनुमति नहीं दी गई। आपको बता दें कि न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ के समक्ष जेडी मिनरल्स के संचालक हल्द्वानी निवासी राजेंद्र सिंह दफौटी की याचिका पर सुनवाई हुई।
दफौटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि शासन ने जेडी मिनरल्स के पक्ष में 23 सितंबर 2021 को पिथौरागढ़ की मुनस्यारी तहसील के ग्राम बजेता में कुल 17.967 हेक्टेयर भूमि में 50 वर्ष की अवधि के लिए सोप स्टोन का खनन पट्टा स्वीकृत किया। 12 नवंबर 2021 को लीज निष्पादित कर दी गई लेकिन याचिकाकर्ता को वर्क ऑर्डर के लिए जिलाधिकारी ने अनुमति नहीं दी। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर डीएम पिथौरागढ़ कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। उन्होंने शपथपत्र पेश कर बताया कि उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग के आदेश के बाद ही खनन कार्य की अनुमति नहीं दी गई है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति आयोग अधिनियम 2003 के अंतर्गत अनुसूचित जाति आयोग को खनन मामलों में दखल का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता को खनन के लिए रोकने का आधार औचित्यहीन है।