उत्तराखंड में हिमांचली टोपी का प्रचलन का कुछ खास है अंदाज…
हल्द्वानी। उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों से हिमांचली टोपी का काफी प्रचलन दिखाई दे रहा है क्योंकि हिमांचली टोपी को उत्तराखंड के लोगों द्वारा बहुत पहना जा रहा है। इसे न केवल उत्तराखंड के बुजुर्ग बल्कि युवा और छोटे बच्चे भी पहनने लगे है। तो आइये जानें की उत्तराखंड में हिमांचली टोपी का प्रचलन बढ़ने का कारण और हिमांचली टोपी की खासियत।
हिमांचली टोपी को हिमांचल के लोगों की संस्कृति से जोड़ा गया है जिसे पहनना हिमांचल के लोगों की पहचान है। हिमांचली टोपी का आकार गोल होता है जो लाल, पीले, नीले, हरे, नारंगी, गुलाबी आदि रंगों से भिन्न-भिन्न डिजाइनों में बनायी जाती है। हिमांचली टोपी तीन प्रकार की होती है कुल्लूवी टोपी, बुजहरी टोपी और किन्नौरी टोपी। कुल्लूवी टोपी कुल्लू की पहचान है और इसे ही हिमांचली टोपी कहा जाता है। हिमांचली टोपी हिमांचल में अपने अतिथियों को भेट के तौर पर भी दिया जाता है।
हिमांचली टोपी बेहद खूबसूरत होती है इसीलिए वर्तमान में यह न केवल हिमांचल प्रदेश बल्कि उत्तराखंड में भी लोकप्रिय है। उत्तराखंड में हिमांचली टोपी के प्रचलन का मुख्य कारण इस टोपी की बेहतरीन और सुंदर बनावट जिसको पहनने से लोग अच्छा महसूस कर रहे है। उत्तराखंड के लोग हिमांचली टोपी को अपनी संस्कृति से भी जुड़ा हुआ भी महसूस करते है जिसकी वजह से वे अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हिमांचली टोपी को पहन रहे है।
वर्तमान में हिमांचली टोपी को उत्तराखंड में भ्रमण कर रहे यात्री भी बहुत पसंद कर रहे है। उत्तराखंड और हिमांचल प्रदेश के लोग इसे अपनी संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक माध्यम बना रहे है। उत्तराखंड के पवन दीप राजन जो वर्ष, 2021 इंडियल आइडल के विनर रहे उन्होंने पूरे शो में अपनी संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए हिमांचली टोपी पहनी थी। इसके अलावा पहाड़ों से प्रेम करने वाले बड़े-बड़े सेलेब्रिटी भी हिमांचली टोपी पहनना पसंद कर रहे है।