देहरादून। राज्य सरकार द्वारा सिंचाई विभाग में बड़ी संख्या में कनिष्ठ अभियंता (जेई) के पदों पर भर्ती को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पहले से ही विभाग में अभियंताओं की फौज है। इसे देखते हुए विभाग से लगातार अभियंताओं को मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में डेपुटेशन पर भेजा जा रहा है। ऐसे में सिंचाई विभाग में फिर से अभियंताओं की भर्ती समझ से परे बताई जा रही है। भर्ती का यह खेल क्या है यह सवाल प्रशासनिक हलकों में तैर रहे हैं। इसमें सचिव तक की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। अगर सिंचाई विभाग में जेई की कमी है तो उनहें डेपुटेशन पर एमडीडीए क्यों भेजा जा रहा है।
दरअसल, राज्य सरकार ने 11 महकमों में बेरोजगार डिप्लोमाधारी युवाओं के लिए कनिष्ठ अभियंता के 1037 पदों पर भर्ती की मंजूरी दे दी है। जिसमें शहरी विकास में 32, लोक निर्माण विभाग में 252, लघु सिंचाई में 46, सिंचाई विभाग में 138, ग्रामीण निर्माण में 201, कृषि में 37, आवास में 140, पंचायती राज में 41, जल संस्थान में 79, पेयजल निगम में 62 और उर्जा में नौ जेई की भर्ती को अनुमोदन मिला है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के अनुमोदन के बाद कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के अपर सचिव ललित मोहन रयाल ने भर्ती का प्रस्ताव लोक सेवा आयोग को भेज दिया है। सिंचाई विभाग में अभियंताओं की अतिरिक्त संख्या बताकर एमडीडीएम में डेपुटेशन पर भेजा जा रहा है। ऐसे में जब अभियंताओं की संख्या अतिरिक्त हैं तो फिर नई भर्ती क्यों की जा रही हैं। अगर अभियंताओं की कमी है तो सिंचाई विभाग से दूसरे विभागों में अभियंताओं को डेपुटेशन पर क्यों भेजा जा रहा है। यह बड़ा अहम सवाल है जो प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।