ऋण चूककर्ताओं पर लगाए गए जुर्माने का उपयोग धन जुटाने को नहीं कर सकते बैंक : आरबीआई

नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि बैंक ऋण चूककर्ताओं पर लगाए गए जुर्माने का इस्तेमाल धन जुटाने के लिए नहीं कर सकते।

केंद्रीय बैंक ने यह सुनिश्चित करने के लिए ऋण खातों से संबंधित मानदंडों में संशोधन किया है।

आरबीआई ने कहा कि बैंकों को गैर-अनुपालन के लिए दंड को ‘दंडात्मक शुल्क’ के रूप में मानना चाहिए और इसे ‘दंडात्मक ब्याज’ के रूप में नहीं लगाया जाना चाहिए, जो अग्रिमों पर लगाए गए ब्याज की दर में जोड़ा जाता है।

आरबीआई ने कहा कि दंडात्मक शुल्कों का पूंजीकरण नहीं किया जाना चाहिए, दूसरे शब्दों में, ऐसे शुल्कों पर कोई और ब्याज की गणना नहीं की जानी चाहिए।

शुक्रवार को जारी एक सर्कुलर में यह भी कहा गया कि इससे ऋण खाते में ब्याज चक्रवृद्धि की सामान्य प्रक्रियाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

यह निर्देश यह देखने के बाद जारी किए गए थे कि कई बैंक उधारकर्ता द्वारा उन शर्तों के साथ चूक या गैर-अनुपालन के मामले में, जिन शर्तों पर ऋण सुविधाएं स्वीकृत की गई थीं, लागू ब्याज दरों के अलावा दंडात्मक ब्याज दरों का उपयोग करते हैं।

केंद्रीय बैंक ने कहा, “इस तरह के शुल्क का उपयोग अनुबंधित ब्याज दर से अधिक राजस्व वृद्धि उपकरण के रूप में नहीं किया जाता है।”

आरबीआई की टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ग्राहकों ने अक्सर उन दंडात्मक शुल्क लगाते समय बैंकों की ओर से पारदर्शिता की कमी के बारे में शिकायत की है।

आरबीआई के सर्कुलर में कहा गया है, “दंडात्मक शुल्क की मात्रा उचित होगी और किसी विशेष ऋण या उत्पाद श्रेणी के भीतर भेदभाव किए बिना ऋण अनुबंध के भौतिक नियमों और शर्तों के गैर-अनुपालन के अनुरूप होगी।”

–आईएएनएस

सीबीटी

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button