बदरीनाथ धाम : शीतकालीन साधना हेतु 12 साधुओं को मिली अनुमति
करोड़ों हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक बदरीनाथ धाम के कपाट बन्द हो चुके है,साथ ही भगवान उद्धव जी ओर कुबेर जी भी अपने शीतकालीन गद्दी स्थल पर विराजमान हो गए है बदरी पुरी में भी बदरीनाथ मंदिर में मान्यता अनुसार भगवान बदरी विशाल की पूजा का दायित्व देवताओं के पास आ गया है,मंदिर में भगवान श्री हरि नारायण पदमासन मुद्रा में जगत कल्याण हेतु साधना रत है, देव ऋषि नारद जी धाम की नित्य अभिषेक पूजाओं का जिम्मा संभाले है,वहीं मन्दिर के बाहर की बदरी पुरी असीम शांति के सागर में डूबी नजर आ रही है, हालांकि कपाट बन्द होने के बाद भी कुछ सनातनी साधु संत भगवद भक्ति में लीन है,शीतकाल में जहां पूरा उच्च हिमालय छेत्र बर्फ से ढक जाता है, पारा माइनस 20 डिग्री से नीचे होता है ऐसे में बदरी पुरी के ये साधक भगवान श्री नारायण के प्रति अपनी साधना की अलख जगाए रखते है,
शीतकाल में धाम में रहने के लिए जोशीमठ तहसील प्रशासन को इस बार करीब 2 दर्जन से अधिक लोगों की ओर से आवेदन मिले हैं। तहसील प्रशासन के सूत्रों की माने तो अभी तक जांच के बाद 12 साधु संतों को शीतकाल में साधना तप की अनुमति दे दी गई है।बाकी आवेदनों पर जांच जारी है। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद किसी को भी धाम में रहने की अनुमति नहीं दी जाती है। धाम में केवल सेना और पुलिस के जवानों की तैनाती रहती है। इसके साथ ही साधु-संतों को धाम में अपनी-अपनी कुटिया में तपस्या करने के लिए प्रशासन की ओर से प्रतिवर्ष अनुमति दी जाती है।
इस वर्ष अभी तक 12 साधु-संतों को धाम में रहने की अनुमति दी गई है। जोशीमठ प्रशासन को इस बार शीतकाल में धाम में रहने के लिए 17 आवेदन मिले हैं। अभी तक जांच के बाद 12 लोगों को अनुमति दे दी गई है। अन्य लोगों की जांच चल रही है। बता दें कि शीतकाल के दौरान बदरीनाथ धाम में काफी बर्फबारी होती है। जिससे वहां कड़ाके की ठंड होती है। वहीं, धाम में चारों ओर शांति ही शांति रहती है। कई साधु-संत साधना के लिए इसलिए यहां रहना पसंद करते हैं। हाड़ कंपा देने वाली ठंड भी उनकी आस्था को नहीं डिगा पाती। प्रशासन की ओर से साधुओं के तपस्या पर जाने से पहले स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है।