Uttarakhand के ऐसे 100 गांव जहां नहीं मनाया जाता Holi का त्योहार
रंग बरसे भीगे चुनर वाली गानों से कुछ दिनों बाद पूरे राज्य समेत पूरा देश गुंजेगा। लेकिन देवभूमि में कुछ ऐसे गांव है जहां होली के त्योहार के दिन सन्नाटा पसरा रहता है।
Holi 2024:पूरे देश समेत देवभूमि उत्तराखंड(Uttarakhand) में धूमधाम से होली(Holi 2024) मनाई जाती है। उत्तराखंड के कुमाऊं की बैठकी और खड़ी होली देश-दुनियाभर में जानी जाती है। लेकिन उत्तराखंड के करीब सौ गांव ऐसे भी हैं। जहां होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। यह सभी राज्य के सीमांत पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट के करीब सौ गांव है। यहां होली मनाना अपशकुन माना जाता है। कुछ बुरा या अनहोनी की आशंका में यहां के ग्रामीण होली नहीं मनाते हैं। चीन और नेपाल सीमा से लगे इन गांवों में होली की चहल-पहल की जगह गहरा सन्नाटा छाया रहता है। पुराने समय से यहां कुछ मिथक चलते आ रहे हैं। इन सभी के कारण वर्षों से यहां होली नहीं मनाई जाती है।
होली न मनाने के अलग-अलग कारण
धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट में होली न मनाने के अलग-अलग कारण हैं। मुनस्यारी में होली मनाने पर किसी अनहोनी की आशंका रहती है। डीडीहाट में अपशकुन तो धारचूला के गांवों में छिपला केदार की पूजा करने वाले होली नहीं मनाते हैं।
धारचूला में होली न मनाने का कारण
धारचूला के रांथी, जुम्मा, खेला, खेत, स्यांकुरी, गर्गुवा, जम्कू, गलाती सहित अन्य गांव शिव के पावन स्थल छिपला केदार में स्थित है। स्थानीय लोगों के अनुसार पूर्वजों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शिव की भूमि पर रंगों का प्रचलन नहीं होता है। इस परंपरा का ग्रामीण आज तक पालन करते है।
मुनस्यारी में सांपो ने रोका था रास्ता
मुनस्यारी के चौना, पापड़ी, मालूपाती, हरकोट, मल्ला घोरपट्टा, तल्ला घोरपट्टा, माणीटुंडी, पैकुटी, फाफा, वादनी सहित कई गांवों में होली नहीं मनाई जाती है। स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार एक बार ग्रामीण होल्यार देवी के प्रसिद्ध भराड़ी मंदिर में होली खेलने जा रहे थे। तब सांपों ने उनका रास्ता रोक दिया। इसके बाद होली गाने या होली खेलने वाले के घर में कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती थी। तब से यहां होली नहीं मनाई जाती।
डीडीहाट में कई बार हुए थे अपशकुन
डीडीहाट के दूनकोट क्षेत्र के स्थानीय निवासियों के अनुसार प्राचीन समय में गांवों में होली मनाने पर कई प्रकार के अपशकुन हुए थे। ग्रामीणों ने डर कर तब से लेकर अब तक होली नहीं मनाई है। इतना ही नहीं यहां के लोग पास के गांवों में मनाई जाने वाले होली आयोजन में भी शामिल नहीं होते हैं।