सनी देओल का विला नहीं बेचेगा बैंक ऑफ बड़ौदा, ‘तकनीकी कारणों से’ वापस लिया नीलामी नोटिस
चेन्नई, 21 अगस्त (आईएएनएस)। भाजपा के सांसद और अभिनेता सनी देओल के विला की नीलामी का फैसला वापस लेने के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा ने डैमेज कंट्रोल के तहत ट्वीट कर अपने फैसले के तकनीकी कारण बताए हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने सोमवार को अखबारों में विज्ञापन दिया कि करीब 56 करोड़ रुपये का कर्ज और उस पर ब्याज नहीं चुका पाने के कारण सांसद और अभिनेता की मुंबई की संपत्ति को नीलाम करने का फैसला वह ‘तकनीकी कारणों’ से वापस ले रहा है।
इससे पहले रविवार को बैंक ने सनी देओल के विला की नीलामी का विज्ञापन दिया था। उन पर 26 दिसंबर 2022 के बाद से बैंक का लगभग 55.99 करोड़ रुपये का कर्ज तथा उसका ब्याज बकाया है, जो अब तक की वसूली से कम है।
वहीं प्रमुख बैंकिंग यूनियन ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने इस फैसले को सत्तारूढ़ भाजपा की फोन बैंकिंग की शैली करार दिया, विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने भी बैंक के फैसले पर सवाल उठाया।
विरोध का सामना करते हुए, बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक ट्वीट में ‘तकनीकी कारणों’ को समझाने का फैसला किया।
बैंक ने कहा कि कुल बकाया वसूल किए जाने वाले बकाया की सटीक मात्रा निर्दिष्ट नहीं करता है।
दूसरे, बिक्री नोटिस सुरक्षा हित (प्रवर्तन) नियम 2002 के नियम 8(6) के अनुसार संपत्ति के प्रतीकात्मक कब्जे पर आधारित था।
बैंक के मुताबिक, संपत्ति के भौतिक कब्जे के लिए 1 अगस्त 2023 को मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन किया गया है, जो लंबित है।
बैंक ने आगे कहा, सनी देओल ने बताया था कि यूनिट अभी भी चल रही है, और सरफेसी अधिनियम के अनुसार भौतिक कब्ज़ा मिलने के बाद ही बिक्री कार्रवाई शुरू की जाएगी।
बैंक ने यह भी कहा कि रविवार के विज्ञापन के बाद, भाजपा सांसद-सह-अभिनेता ने बकाया राशि के निपटान के लिए उससे संपर्क किया था और इसलिए सामान्य उद्योग प्रथा के अनुसार बिक्री नोटिस वापस ले लिया गया।
बैंक ने अपने पहले विज्ञापन में कहा था कि उधारकर्ता/गारंटर बिक्री से पहले किसी भी समय बकाया राशि/लागत/शुल्क और खर्च का भुगतान करके प्रतिभूतियों को भुना सकते हैं।
सनी देओल को उधारकर्ता/गारंटर बताया गया था और अन्य गारंटर धर्मेंद्र सिंह देओल और सनी साउंड्स प्राइवेट लिमिटेड हैं।
नीलामी नोटिस बैंक ऑफ बड़ौदा की ज़ोनल स्ट्रेस्ड एसेट रिकवरी ब्रांच, बैलार्ड एस्टेट, मुंबई द्वारा जारी किया गया था।
जो भी हो, सवाल यह उठता है कि क्या कोई सरकारी स्वामित्व वाला बैंक विभिन्न तकनीकी कमजोरियों के साथ गिरवी रखी गई संपत्ति की बिक्री नोटिस का विज्ञापन कर सकता है?
उधारकर्ता – भाजपा सांसद और एक अभिनेता – की प्रोफ़ाइल को देखते हुए, बैंक को बिक्री नोटिस जारी करते समय दोगुनी सावधानी बरतनी चाहिये थी। तार्किक निष्कर्ष यह है कि बैंक तकनीकी कमजोरियों वाले अन्य उधारकर्ताओं के लिए भी ऐसे नोटिस जारी करता रहा है।
एआईबीईए के वेंकटचलम ने आईएएनएस से कहा, “जाहिर तौर पर यह राजनीति है। भाजपा के प्रतिकूल प्रचार के कारण नीलामी नोटिस वापस ले लिया गया। वे अलग नहीं हैं। हम इस बात की गहन जांच की मांग करते हैं कि पहला विज्ञापन किसने जारी किया था और किसने वापस लेने का फैसला किया था और क्यों? इसके लिए जवाबदेही होनी चाहिए।”
–आईएएनएस
एकेजे