वैज्ञानिकों ने की स्तन कैंसर से जुड़े चार नए जीन की पहचान

टोरंटो, 21 अगस्त (आईएएनएस)। कनाडा और यूके के वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने स्तन कैंसर से जुड़े चार नए जीनों की पहचान की है, जिन्‍हें बढ़ते जोखिम वाली महिलाओं की पहचान करने के लिए परीक्षणों में शामिल किया जा सकता है।

विश्व स्तर पर 2.3 मिलियन से अधिक महिलाएं स्तन कैंसर से पीड़ित हैं। महिलाओं में होने वाली मृत्यु का कैंसर दूसरा प्रमुख कारण है।

स्तन कैंसर के लिए वर्तमान परीक्षण में केवल कुछ जीनों पर विचार किया गया, जिसमें बीआरसीए1, बीआरसीए2 और पीएएलबी2 शामिल हैं।

हालांकि ये केवल स्तन कैंसर की पहचान करने के लिए काफी नहीं हैं। इसके लिए अभी भी अधिक जीनों की पहचान की जानी बाकी है।

नेचर जेनेटिक्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कम से कम चार नए स्तन कैंसर के जोखिम वाले जीनों के साक्ष्य मिले, जिनमें कई संकेत देने वाले साक्ष्य भी शामिल हैं।

इन नए जीनों की पहचान स्तन कैंसर के आनुवंशिक जोखिम के बारे में हमारी समझ में योगदान देगी।

यह शोध उन महिलाओं को इसेे पहचानने में मदद करेगा, जिन्‍हें इस बीमारी का खतरा अधिक है। यह जीन स्तन जांच और जोखिम में कमी को उजागर करेंगे।

इन नवीन जीनों की खोज से कैंसर के विकास पर महत्वपूर्ण जानकारी भी मिलती है, जिससे संभावित रूप से नए उपचारों की पहचान करने का रास्ता खुल जाता है।

इस शोध का उद्देश्य है कि इस जानकारी को वर्तमान में दुनियाभर में स्वास्थ्य पेशेवर इस्‍तेमाल में लाए, जिससे स्तन कैंसर के खतरे को भापा जा सके।

कनाडा के क्यूबेक में यूनिवर्सिटी लावल के प्रोफेसर जैक्स सिमर्ड ने कहा कि इस शोध से उच्च जोखिम वाली महिलाओं के लिए जोखिम कम करने की रणनीतियों, स्क्रीनिंग और उपचार विकल्पों के निर्धारण के संबंध में साझा निर्णय लेने को बढ़ावा मिलेगा।

सीएचयू डी क्यूबेक-यूनिवर्सिटी लावल रिसर्च सेंटर के जीनोमिक्स सेंटर के शोधकर्ता सिमर्ड ने कहा कि नए जीनों में पहचाने गए अधिकांश दुर्लभ हैं, लेकिन उन महिलाओं के लिए यह महत्वपूर्ण हो सकते हैं, जिनमें यह पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए नए जीनों में से एक एमएपी3के1 में परिवर्तन स्तन कैंसर को जन्म देता है।

टीम ने स्तन कैंसर से पीड़ित 26,000 महिलाओं और बिना स्तन कैंसर वाली 217,000 महिलाओं के सभी जीनों में परिवर्तनों का अध्ययन किया। इनमें यूरोप और एशिया के आठ देशों की महिलाएं शामिल थीं।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कैंसर जेनेटिक महामारी विज्ञान केंद्र के निदेशक प्रो. डगलस ईस्टन ने कहा कि हमें इन जीनों में वेरिएंट से जुड़े कैंसर के खतरों को अधिक सटीक रूप से निर्धारित करने, ट्यूमर का अध्ययन करने और यह समझने के लिए अतिरिक्त डेटा की आवश्यकता है कि ये स्तन कैंसर के खतरों को प्रभावित करने वाले अन्य जीवनशैली कारकों के साथ कैसे जुड़ते हैं।”

–आईएएनएस

एमकेएस/एबीएम

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