लगातार तलब किए जाने पर पुलिस के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल होगा : दिल्ली कोर्ट
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (सीपी) से उनके अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा निर्देशों का कथित तौर पर पालन न करने के संबंध में लिखित स्पष्टीकरण की जरूरत बताई गई थी।
साकेत कोर्ट की प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मधु जैन ने कहा कि विशेष सीपी को अदालत द्वारा 300 से अधिक बार तलब किया गया है, उन्होंने कानून और व्यवस्था के रखरखाव पर ऐसे समन के प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की प्रथा को हतोत्साहित किया जाना चाहिए और बंद किया जाना चाहिए।
सत्र न्यायाधीश ने कहा, “अगर इस तरह की प्रथा को सभी अदालतों द्वारा अपनाया जाता है तो पुलिस अधिकारियों के लिए अपने संबंधित क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था बनाए रखना बहुत मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि वे अपना पूरा समय अदालतों में बिताएंगे। न केवल इस प्रथा की निंदा की जानी चाहिए, बल्कि हमें इसे रोकना भी चाहिए।“
मुख्य लोक अभियोजक ने अदालत को यह भी बताया कि अदालत ने उन्हें भी कई बार तलब किया है।
अदालत विशेष आयुक्त द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि उनके अधिकार क्षेत्र के तहत पुलिस स्टेशन (बदरपुर) से आने वाले प्रत्येक मामले में संबंधित जांच अधिकारी को बुलाने के बजाय, अदालत प्रश्नाें के समाधान के लिए उसे तलब करेगी।
अभियोजन साक्ष्य के चरण में दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम के तहत एक आपराधिक मामले से निपटने के दौरान मजिस्ट्रेट अदालत ने गवाहों की गैर-हाजिरी पर नाराजगी जताई थी।
अदालत ने टिप्पणी की थी, “इससे अदालत का कीमती समय बर्बाद होता है और मामलों को स्थगित करना पड़ता है। इसके अलावा, कई मामलों में अदालत को उन गवाहों के खिलाफ जमानती और गैर-जमानती वारंट जारी करना पड़ता है, जो इस अदालत के समक्ष अपना आचरण बदलने में विफल रहे हैं और मौखिक और लिखित चेतावनियों के बावजूद पेश नहीं हो रहे हैं।”
मजिस्ट्रेट ने देखा था कि छूट आवेदन दायर करने के निर्देशों के बावजूद गवाहों और स्टेशन हाउस अधिकारी ने अपना व्यवहार नहीं बदला है।
इसके बाद मजिस्ट्रेट अदालत ने स्पेशल सीपी को नोटिस जारी कर स्थिति पर लिखित स्पष्टीकरण मांगा।
विचार के बाद न्यायाधीश मधु जैन ने आदेश रद्द कर दिया।
न्यायाधीश ने कहा, “18 मई, 2023 के आक्षेपित आदेश को रद्द कर दिया गया है, जिसमें (विशेष) पुलिस आयुक्त, दिल्ली से स्पष्टीकरण की मांग की गई थी और राज्य बनाम मगन नामक मामले में पारित उस आदेश में संशोधनकर्ता के संबंध में अतिरिक्त न्यायिक टिप्पणी की गई थी। बदरपुर पीएस में दर्ज एफआईआर 10/2020 को खत्म कर दिया गया है।
–आईएएनएस
एसजीके