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मणिपुर सरकार के लिए एक चुनौती बनती जा रही लूटे गए हथियारों की बरामदगी

इंफाल, 23 सितंबर (आईएएनएस)। मणिपुर सरकार के लिए लूटे गए हथियारों की बरामदगी एक चुनौती बनती जा रही है। जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर में लूटी गई हजारों बंदूकों और गोला-बारूद की बरामदगी अब अधिकारियों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है क्योंकि पिछले 115 दिनों में ऐसे एक तिहाई से भी कम हथियार बरामद किए गए हैं।

कई वरिष्ठ सेवारत, सेवानिवृत्त पुलिस और सेना अधिकारियों ने भी कहा है कि बड़ी संख्या में लूटे गए हथियारों की बरामदगी प्राथमिकता के आधार पर की जानी चाहिए।

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एल निशिकांत सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि जातीय शत्रुता को समाप्त करने के लिए मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हथियारों की बरामदगी और बातचीत बहुत महत्वपूर्ण है।

विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, 3 मई को भड़की जातीय हिंसा के दौरान भीड़, हमलावरों और उग्रवादियों ने पुलिस स्टेशनों, पुलिस चौकियों से 4,000 से अधिक विभिन्न प्रकार के अत्याधुनिक हथियार और लाखों विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद लूट लिए गए थे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान उन लोगों से आग्रह किया था कि जिनके पास लूटे गए हथियार हैं, वे इन्हें वापस कर दें अन्यथा सुरक्षाबल उचित कार्रवाई करेंगे। अमित शाह 29 मई से 1 जून तक मणिपुर के दौरे पर थे।

मणिपुर सरकार भी कई मौकों पर लोगों से इसी तरह की अपील कर चुकी है। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी के अनुसार, अब तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से 1365 अत्याधुनिक हथियार और 15,100 विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद बरामद किए गए हैं।

मणिपुर सरकार ने शुक्रवार रात अपने ताजा निर्देश में हथियार लूटने वाले लोगों को 15 दिनों के भीतर हथियार वापस करने की चेतावनी दी थी। कहा था कि यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के कार्यालय द्वारा जारी राज्य सरकार के आदेश में कहा गया है, ”राज्य सरकार 6 अक्टूबर तक ऐसे हथियार जमा करने वाले व्यक्तियों पर विचार करने को तैयार है।”

निर्देश में कहा गया था कि 6 अक्टूबर के बाद केंद्र और राज्य सुरक्षा बल लूटे गए हथियारों को बरामद करने के लिए पूरे राज्य में एक व्यापक तलाशी अभियान चलाएंगे और किसी भी अवैध हथियार से जुड़े सभी व्यक्तियों से कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा।

जानकारी के अनुसार, मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से कम से कम 175 लोग मारे गए, 1,108 घायल हुए और 32 लापता हैं।

मणिपुर की 32 लाख आबादी में मैतेई लोगों की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जबकि नागा और कुकी सहित आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं, जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 90 प्रतिशत है।

–आईएएनएस

एफजेड

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