मणिपुर : आदिवासियों ने हत्याओं के खिलाफ प्रदर्शन किया, एएफएसपीए दोबारा लगाने की मांग की

इंफाल, 19 अगस्त (आईएएनएस)। शुक्रवार को उखरूल जिले में कुकी आदिवासियों के तीन ग्राम रक्षा स्वयंसेवकों (वीडीवी) की हत्या के विरोध में हजारों आदिवासी महिलाओं ने शनिवार को मणिपुर के विभिन्न जिलों, विशेष रूप से कांगपोकपी जिले में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया।

विरोध प्रदर्शन के कारण मणिपुर की सतही जीवनरेखा राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (इंफाल-दीमापुर) पर वाहनों की आवाजाही पूरे दिन बाधित रही।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में ‘माफ करो और भूल जाओ’ और शांति से रहने के आह्वान के बमुश्किल दो दिन बाद प्रतिद्वंद्वी समुदाय ने तीन वीडीवी की हत्या कर दी।

विरोध प्रदर्शन का आयोजन आदिवासी एकता समिति (सीओटीयू) द्वारा किया गया, जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भी सौंपा था, जिसमें गैर-आबादी वाले सभी छह घाटी जिलों में सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम, 1958 (एएफएसपीए) को फिर से लागू करने की मांग की गई थी।

कांगपोकपी जिले के उपायुक्त के माध्यम से सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है, “अगर घाटी के जिलों में एएफएसपीए फिर से लगाया जाता है, तो सेना और अर्धसैनिक बल इन क्षेत्रों में हिंसा को रोकने में सक्षम होंगे।”

सीओटीयू मीडिया सेल के समन्वयक लुन किपगेन ने कहा कि चूंकि केंद्र मणिपुर में राष्ट्रपति शासन नहीं लगा रहा है, इसलिए सरकार को घाटी के जिलों में एएफएसपीए को फिर से लागू करना चाहिए और उन आदिवासी क्षेत्रों में असम राइफल्स की फिर से तैनाती करनी चाहिए, जहां से उन्हें वापस ले लिया गया था।

नवंबर 2000 में मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के मालोम माखा लीकाई में एक बस स्टॉप पर अर्धसैनिक बलों द्वारा 10 लोगों की हत्या के बाद दक्षिणपंथी कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने एएफएसपीए को रद्द करने की मांग करते हुए 16 वर्षों तक भूख हड़ताल की।

सीओटीयू ने अपने ज्ञापन में हाल ही में लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर असंतोष प्रकट किया।

उनहोंने कहा, “9 अगस्त को केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा दिए गए गैर-जिम्मेदाराना बयान से कुकी-ज़ो लोग बहुत आहत हुए हैं, जिसमें कहा गया है कि जातीय हिंसा म्यांमार से अवैध अप्रवासियों की आमद के कारण होती है।“

उन्होंने राज्य में हिंसा पैदा करने के लिए म्यांमार स्थित कुकी डेमोक्रेटिक फ्रंट नामक एक गैर-मौजूदा संगठन का भी नाम लिया। केंद्रीय गृहमंत्री के इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान ने कुकी-ज़ो लोगों के घावों को और गहरा कर दिया है, जो बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा किए गए जातीय सफाए के शिकार हैं।”

आदिवासी निकाय ने शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों के खिलाफ एफआईआर रद्द करने की भी मांग की।

ज्ञापन में प्रधानमंत्री से अलोकतांत्रिक फाइलिंग पर गौर करने का आग्रह करते हुए कहा गया है, “सीओटीयू को यह जानकर दुख हुआ है कि कुकी ज़ो आदिवासी समुदायों से संबंधित शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों के खिलाफ बहुसंख्यक समुदाय के विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों द्वारा कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।”

–आईएएनएस

एसजीके

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button