पुल और भवनों के मूल्यांकन के लिए आईआईटी ने बनाई एआई एल्गोरिदम
नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। आईआईटी मंडी ने पुलों की स्थिति का अनुमान और उनके जीवन की भविष्यवाणी करने के लिए मशीन लर्निंग व एआई डेटा-संचालित तरीका तैयार किया है। यह एआई एल्गोरिदम मानव हस्तक्षेप के बिना ही संरचनात्मक क्षति की पहचान कर सकते हैं।
विशेष रूप से प्रीस्ट्रेस्ड कंक्रीट और केबल आधारित पुलों पर यह रियल टाइम और महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकता है।
इस पर आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं का कहना है कि एआई-आधारित एल्गोरिदम का प्रयोग व्यापक रूप से किया जा सकता है। यह केवल पुलों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि इसका उपयोग रोपवे, इमारतों, एयरोस्पेस संरचनाओं, ट्रांसमिशन टावरों और समय-समय पर स्थिति मूल्यांकन और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता वाले विभिन्न बुनियादी ढांचों जैसी संरचनाओं में भी किया जा सकता है।
आईआईटी का कहना है कि पुल भारत के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देशभर में इनकी संख्या लगभग 13,500 है। यह संरचनाएं तापमान में परिवर्तन, पानी और हवा जैसे पर्यावरणीय कारकों के कारण प्राकृतिक रूप से पुरानी हो जाती हैं। जिसको भारी सड़क यातायात ने और बढ़ा दिया है।
परंपरागत रूप से पुलों की स्थिति का आकलन दृश्य निरीक्षण के माध्यम से किया जाता रहा है जबकि विशेषज्ञों द्वारा इस पद्धति को अपर्याप्त माना गया है। यह सभी संरचनात्मक मुद्दों का पता लगाने में असफल रहता है और यह अधिक समय लेने वाली प्रक्रिया है, जिसमें कई तस्वीरों का मैन्युअल विश्लेषण किया जाता है।
इन अध्ययनों के निष्कर्ष को हाल ही में मैकेनिकल सिस्टम्स एंड सिग्नल प्रोसेसिंग और न्यूरल कंप्यूटिंग एंड एप्लीकेशन पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है।
इस शोध को स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुभमोय सेन और उनके शोधार्थी डॉ. स्मृति शर्मा, ईश्वर कुंचम और आईआईटी मंडी की नेहा असवाल के साथ-साथ फ्रांस के आईएनआरआईए रेनेस के डॉ. लॉरेंट मेवेल के सहयोग से तैयार किया गया है।
इस संबंध में विस्तार से बताते हुए आईआईटी मंडी के डॉ. सुभमोय सेन ने कहा, “हमने एक पुल की स्थिति का अनुमान लगाने और उसके शेष उपयोगी जीवन की भविष्यवाणी करने के लिए मशीन लर्निंग, एआई और बायेसियन सांख्यिकीय अनुमान जैसे डेटा-संचालित तरीकों को तैयार किया है। परिणामों में परिचालन और प्रतिकूल लोडिंग स्थितियों के तहत बुनियादी ढांचे के जोखिम को कम करने की क्षमता है।”
विशेष रूप से प्रीस्ट्रेस्ड कंक्रीट और केबल आधारित पुलों में तापमान के उतार-चढ़ाव से पुल की गतिशील क्षमतायें बहुत प्रभावित होती हैं। इसलिए रियल टाइम और एआई-आधारित एसएचएम दोनों में ही इन तापमान के प्रभावों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।
वार्षिक और दैनिक तापमान में अत्यधिक उतार चढ़ाव वाले ठंडे क्षेत्र के एक पुल पर आईआईटी मंडी के इस एल्गोरिदम को सख्ती से जांचा जा चुका है।
शुरुआत में आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने क्षति का पता लगाने में एल्गोरिदम की क्षमताओं का आकलन करने के लिए इसका परीक्षण एक क्षतिग्रस्त पुल पर किया। इसके बाद उन्होंने क्षति के स्थान को इंगित करने में एल्गोरिदम की सटीकता का मूल्यांकन करने के लिए जानबूझकर कंप्यूटर मॉडल में क्षति को इंगित किया। तत्पश्चात इस परीक्षण के माध्यम से संरचनात्मक क्षति की पहचान करने में एल्गोरिदम की प्रभावशीलता की पुष्टि हुई।
–आईएएनएस
जीसीबी/एबीएम