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दिल्ली हाईकोर्ट ने गलत फोटो अपलोड करने पर यूपीएससी अभ्यर्थी की उम्मीदवारी रद्द करने को रखा बरकरार

नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को असावधानीपूर्वक गलत तस्वीरें अपलोड करने आवेदन पत्र में गलत हस्ताक्षर के कारण सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा के लिए एक अभ्यर्थी की उम्मीदवारी रद्द करने के संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के फैसले को बरकरार रखा।

अभ्यर्थी ने प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी लेकिन उसने गलती से अपने भाई की फोटो और हस्ताक्षर अपलोड कर दिए।

उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के समक्ष रद्दीकरण को चुनौती दी और मुख्य परीक्षा में उपस्थित होने की अनुमति मांगी, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई।

उच्च न्यायालय ने कैट के फैसले को बरकरार रखा, यह देखते हुए कि आवेदन विंडो बंद होने के बाद उम्मीदवारों के पास आवेदन पत्र की त्रुटियों को ठीक करने के लिए सात दिन का समय होता है, जिसका याचिकाकर्ता ने उपयोग नहीं किया।

यह भी देखा गया कि उसकी उम्मीदवारी खारिज होने के लगभग 15 दिन बाद उसने ट्रिब्यूनल से संपर्क किया।

मुख्य परीक्षा की निकटता और याचिकाकर्ता द्वारा उपाय मांगने में देरी को देखते हुए, अदालत ने रिट याचिका खारिज कर दी।

यूपीएससी ने तर्क दिया कि उम्मीदवारों को अपने आवेदन पत्र अपलोड करने से पहले उनका पूर्वावलोकन और पुष्टि करनी होगी, जिसमें सुधार के लिए सात दिन का समय होगा।

याचिकाकर्ता को राहत देना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा, क्योंकि इससे उसे लाभ मिलेगा

अन्य उम्मीदवारों को इससे वंचित कर दिया गया।

अदालत ने ट्रिब्यूनल के निष्कर्षों पर भी गौर किया कि सिविल सेवा परीक्षा नियम, 2023 के आधार पर यूपीएससी निर्देश वैधानिक हैं।

इसमें कहा गया है कि परीक्षा नियमों के नोट 6(1)(ई) में निर्दिष्ट किया गया है कि वास्तविक फोटो/हस्ताक्षर के स्थान पर अप्रासंगिक फोटो/हस्ताक्षर अपलोड करने पर अयोग्यता हो जाएगी।

–आईएएनएस

सीबीटी

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