टीएमसी ने गोवा में खाद्य पदार्थों में मिलावट पर जताई चिंता, परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने की मांग
पणजी, 29 सितंबर (आईएएनएस)। तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी) की गोवा इकाई ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि राज्य में कई वर्षों से खाद्य पदार्थों में मिलावट जारी है। टीएमसी ने सरकार से मांग की है कि वह राज्य भर में पूर्ण परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करे।
टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ट्रैजानो डी’मेलो ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाती है, चाहे वह मछली, मांस, फल, सब्जियां, मिठाइयां ही क्याें न हो। कई वर्षों से यह फल-फूल रहा है। पार्टी ने नाममात्र शुल्क के साथ मिलावट की जांच के लिए पूर्ण परीक्षण प्रयोगशालाएं और केंद्र स्थापित करने की मांग की।
पिछली विधानसभा में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों का जिक्र करते हुए डी’मेलो ने कहा, ”एफडीए एक बेकार संस्था है जहां भ्रष्टाचार का राज है। गोवा में भ्रष्ट अधिकारी फल-फूल रहे हैं, जो समय के साथ देखा गया है। पिछले विधानसभा सत्र में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों का जिक्र करते हुए डीमेलो ने कहा कि गोवा में कैंसर के मामलों की संख्या हाल के वर्षों में बढ़ी है।
उन्होंने कहा, ”2021 में, राज्य में कैंसर के 440 नए मामले सामने आए और 2022 में यह संख्या बढ़कर 843 और 2023 में 1,273 हो गई। स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने हाल ही में आंकड़े सार्वजनिक किए, जिसमें कहा गया कि गोवा में चिंताजनक रूप से स्तन कैंसर के मामले बढ़े हैं। 2020 से 2023 तक, स्तन कैंसर के 699 नए मामले और गर्भाशय कैंसर के 135 नए मामले सामने आए।”
आगे कहा, “केले और अन्य फलों को रासायनिक रूप से पकाया जाता है। एफडीए के अस्तित्व को सही ठहराने के लिए प्रति वर्ष एक या दो छापे मारे जाते हैं। जो परीक्षण किए जाते हैं वे संदिग्ध होते हैं, क्योंकि ऐसे कई कार्यकर्ता हैं जिन्होंने उजागर किया है कि परीक्षण कैसे किया जाता है।
डी’मेलो ने फॉर्मेलिन युक्त मछली पर भी जांच रखने की मांग की, जो 2018 में उजागर हुई थी। उन्होंने कहा कि मछली-प्रेमी गोवावासियों का भविष्य अंधकारमय है, इसलिए हम मांग करते हैं कि सरकार को गोवावासियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना बंद करना चाहिए और इसके बजाय राज्य के सभी बाजारों में पूर्ण खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं और परीक्षण केंद्र स्थापित करने चाहिए, ताकि लोग मिलावट की जांच कर सकें।
–आईएएनएस
एमकेएस/एसकेपी