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गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र के विकास लक्ष्यों के लिए वित्तपोषण को बढ़ावा देने की पहल के जी20 के समर्थन का स्वागत किया

संयुक्त राष्ट्र, 21 सितंबर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र के महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय कदमों के लिए जी20 के समर्थन का स्वागत किया।

उन्होंने विकास के लिए वित्तपोषण पर महासभा की उच्चस्तरीय वार्ता में कहा, “मैं एसडीजी प्रोत्साहन, बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने और विकास और जलवायु कार्रवाई के लिए वित्त बढ़ाने के लिए जी20 के समर्थन का स्वागत करता हूं।”

इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली में अपनाई गई जी20 नेताओं की घोषणा में एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाने के लिए जी20 2023 कार्य योजना के लिए सामूहिक कार्रवाई की प्रतिबद्धता जताई गई।

प्रमुख उभरती और औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं से बनी जी20 की प्रतिबद्धता में विकासशील देशों के लिए किफायती वित्तपोषण जुटाना, टिकाऊ वित्त को बढ़ाना और सामाजिक प्रभाव वाले निवेश साधनों को बढ़ाना शामिल है।

उन्होंने कहा कि जी20 की प्रतिबद्धता “विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को इस वित्तपोषण संकट से बचने में मदद करने के लिए सद्भावनापूर्ण प्रयासों” में से एक थी।

गुटेरेस ने कहा कि 2015 में 2030 की समय सीमा के साथ अपनाए गए एसडीजी के आधे रास्ते पर, “हमारी सबसे बुनियादी प्राथमिकताओं – गरीबी और भूख – पर प्रगति दशकों में पहली बार उलट गई है”।

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के नतीजे पीछे हटने के प्रमुख कारण थे।

गुटेरेस ने कहा कि विकास के लिए वित्तपोषण वह ईंधन है जो 2030 एजेंडा [सतत विकास के लिए] और पेरिस समझौते (जलवायु परिवर्तन से लड़ने पर) पर प्रगति को प्रेरित करता है, लेकिन “वह ईंधन खत्म हो रहा है – और सतत विकास इंजन लड़खड़ा रहा है।”

उन्होंने कहा, विकासशील देश ऐसे संकट का सामना कर रहे हैं, जिसके लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।

गुटेरेस ने कहा कि एसडीजी के लिए वित्तपोषण में अंतर एक खाई बन गया है, जिसका अनुमान 3.9 खरब अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष है।

उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के लिए उधार लेने की लागत विकासशील देशों की तुलना में आठ गुना अधिक है, जिससे कर्ज का जाल बन रहा है और दुनिया भर में तीन में से एक देश अब राजकोषीय संकट के उच्च जोखिम में है।

गुटेरेस ने विश्‍व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों को पुनर्जीवित करने के अपने आह्वान को दोहराया। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्‍वयुद्ध के बाद बनाया गया था, जब कई विकासशील देश औपनिवेशिक शासन के अधीन थे और विकसित देशों के पक्ष में झुके हुए थे।

महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने अंतर्राष्ट्रीय वित्त में सुधार के आह्वान का समर्थन किया।

उन्होंने कहा, “हमें वैश्विक आर्थिक प्रशासन के प्रति अपने दृष्टिकोण में बुनियादी तौर पर बदलाव लाना होगा।”

उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मौजूदा वित्तीय वास्तुकला सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक स्थिर, दीर्घकालिक और न्यायसंगत वित्तपोषण जुटाने में कम पड़ गई है।”

–आईएएनएस

एसजीके

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