अकेले रहने से भूलने का जोखिम होता है : अध्ययन

न्यूयॉर्क, 19 अगस्त (आईएएनएस)। अकेले रहने से लोगों में सोचने की क्षमता कमजोर होती है, ऐसे लोग अक्सर अपॉइंटमेंट्स भूल जाते हैं, समय पर मेडिसिन नहीं ले पाते, उनके पास इमरजेंसी के समय भी कांटेक्ट करने के लिए कोई नहीं होता है। नए शोध से ये खुलासा हुआ है।

जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ऐसे रोगियों के लिए, अकेले रहना स्वास्थ्य का एक सामाजिक निर्धारक है जिसका प्रभाव गरीबी, नस्लवाद और कम शिक्षा जितना गहरा है।

एक अनुमान के अनुसार, 4 में से 1 वृद्ध अमेरिकी अकेला रहता है और इन्हें डीमेंसिआ है। इनको असुरक्षित ड्राइविंग, घर से बाहर घुमते समय भटक जाना, समय पर मेडिसिन नहीं लेना और मेडिकल अपॉइंटमेंट्स मिस कर जाने का खतरा होता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-सैन फ्रांसिस्को (यूसीएसएफ) इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड एजिंग की ऐलेना पोर्टाकोलोन ने कहा, “ये निष्कर्ष हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर प्रहार है, जो सभी के लिए घरेलू देखभाल सहायता प्रदान करने में विफल है।”

इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने 76 स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का साक्षात्कार लिया, जिनमें चिकित्सक, नर्स, सामाजिक कार्यकर्ता, केस वर्कर, घरेलू देखभाल सहायक और अन्य शामिल थे।

प्रदाताओं ने रोगियों द्वारा मेडिकल अपॉइंटमेंट्स मिस करने, डॉक्टर के फ़ोन कॉल का उत्तर देने में विफल रहने और यह भूल जाने कि अपॉइंटमेंट्स क्यों की गई थीं, के बारे में चिंताएं व्यक्त कीं।

एक साक्षात्कार में एक चिकित्सक ने कहा, “जरूरी नहीं कि हमारे पास वास्तव में उन तक पहुंचने का प्रयास करने के लिए कर्मचारी हों।”

कुछ मरीज़ अपने डॉक्टर को पूरी जानकारी नहीं मुहैया करा सके, जिससे डॉक्टर सही से इलाज नहीं कर सके।

एक केस मैनेजर के अनुसार, कई लोगों के पास इमरजेंसी कांटेक्ट के लिए कोई नाम नहीं था, “परिवार का कोई सदस्य नहीं, संकट की स्थिति में भरोसा करने के लिए कोई दोस्त भी नहीं”।

अध्ययन में कहा गया है कि इन रोगियों को समर्थन देने वाले अस्थिर बुनियादी ढांचे का एक परिणाम यह था कि उनकी पहचान तब तक नहीं की जाती थी जब तक कि उन्हें अस्पताल नहीं भेजा जाता था।

यूसीएसएफ प्रभाग के लेखक केनेथ ई. कोविंस्की ने कहा, “हमें याद रखने की जरूरत है कि मेडिकेयर और अन्य भुगतानकर्ता डीमेंसिआ से पीड़ित कमजोर लोगों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए पैसे देने से इनकार करते हैं, जबकि खर्च काफी कम होता है।”

–आईएएनएस

एसकेपी

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