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विश्‍व बैंक ने पाकिस्तान को आर्थिक नीतियों में सुधार की दी चेतावनी

इस्लामाबाद, 23 सितंबर (आईएएनएस)। विश्‍व बैंक ने पाकिस्तान को चेतावनी है कि उसे अभिजात वर्ग के कब्जे और सैन्य, राजनीतिक और व्यापारिक नेताओं के मजबूत निहित स्वार्थों से प्रेरित नीतिगत निर्णयों के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली 40 प्रतिशत आबादी के साथ पिछड़ा बने रहने या उज्ज्वल भविष्य के लिए रास्ता बदलने में से एक को चुनने का निर्णय लेना चाहिए।

नए चुनाव चक्र से पहले विश्व बैंक की ओर से आगामी सरकार को शीघ्र विकल्प चुनने की स्पष्ट चेतावनी दी गई है। साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाता और विकास भागीदार केवल सफलताओं और कुछ वित्तपोषण के अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों के साथ सलाह दे सकते हैं, लेकिन कठिन विकल्प और सुधार के निर्णय केवल देश के भीतर ही लिए जा सकते हैं।

नई निर्वाचित सरकार के आने से पहले अंतिम रूप देने के लिए बहस और विचार-विमर्श के लिए पॉलिसी नोट्स का एक सेट जारी करते हुए एक न्यूज ब्रीफिंग में पाकिस्तान में विश्व बैंक के निदेशक नेजी बेन्हासिन ने कहा, “यह पाकिस्तान के लिए नीतिगत बदलाव करने का क्षण हो सकता है।”

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मानव संसाधन पूंजी और आर्थिक संकट के बीच में है। बेन्हासिन द्वारा जारी ‘रिफॉर्म्स फॉर ए ब्राइटर फ्यूचर: टाइम टू डिसाइड’ के ओवरव्यू में कहा गया है, “नीतिगत निर्णय सैन्य, राजनीतिक और व्यापारिक नेताओं सहित मजबूत निहित स्वार्थों से काफी प्रभावित होते हैं।”

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को मुद्रास्फीति, बिजली की बढ़ती कीमतें, गंभीर जलवायु झटके और विकास और जलवायु अनुकूलन के वित्तपोषण के लिए अपर्याप्त सार्वजनिक संसाधनों सहित कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति सबसे कमजोर देशों में से एक है।

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, विश्‍व बैंक ने कहा है कि पाकिस्तान के मानव विकास के परिणाम दक्षिण एशिया के बाकी हिस्सों से काफी पीछे हैं और मोटे तौर पर कई उप-सहारा अफ्रीकी देशों के बराबर हैं, जहां लड़कियों और महिलाओं को असमान रूप से परिणाम सहना पड़ता है, जबकि पांच साल से कम उम्र के करीब 40 प्रतिशत बच्चे अविकसित और विकलांगता का शिकार हैं। दुनिया में स्कूल न जाने वाले बच्चों की सबसे बड़ी संख्या (दो करोड़ तीन लाख) पाकिस्‍तान में है।

इसके विकास मॉडल के परिणामस्वरूप अस्थिर राजकोषीय और चालू खाता घाटे के कारण आवधिक भुगतान संतुलन संकट पैदा हो गया है, जिसके कारण बाद में दर्दनाक संकुचन समायोजन, धीमी गति से विकास, निश्चितता में कमी और निवेश को कम करना आवश्यक हो गया है।

–आईएएनएस

पीके/एकेजे

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