देव आनंद को याद करते हुए सायरा बानो ने बताया, आखिर क्यों ठुकरा दी थी ‘गाइड’
मुंबई, 26 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा के इतिहास के सबसे महान और सबसे सफल अभिनेताओं में से एक देव आनंद की 100वीं जयंती के अवसर पर अनुभवी अभिनेत्री सायरा बानो ने उनके साथ अपनी कुछ यादें साझा की। अभिनेत्री ने इस बात का खुलासा किया कि कैसे वह अपनी फिल्मों में उन्हें भूमिकाएं देते थे।
अभिनेत्री सायरा बानो ने फोटो-शेयरिंग एप्लिकेशन इंस्टाग्राम पर देव आनंद के साथ एक ब्लैक एंड व्हाइट थ्रोबैक तस्वीर साझा की। उन्होंने अपनी फिल्म ‘प्यार मोहब्बत’ से दो वीडियो क्लिप भी पोस्ट की।
अभिनेत्री ने एक लंबा नोट लिखा, “100वां जन्मदिन मुबारक हो, 1955 में आई फिल्म ‘सीआईडी’ में देव साहब मेरी मां नसीमजी को कास्ट करना चाहते थे, लेकिन उस समय सुल्तान भाई और मैं लंदन में स्कूली पढ़ाई कर रहे थे और उन्हें हमारे साथ वहां रहना था, इसलिए उन्होंने मना कर दिया।
यही भूमिका शकीला जी ने की। ऐसा ही कुछ 1958 की फिल्म ‘काला पानी’ में हुआ था, जिसमें नसीमजी की भूमिका नलिनी जयवंत ने निभाई थी। साहब ने उन्हें ‘महानतम अभिनेत्री’ बताया था, जिनके साथ उन्होंने काम किया था।”
उन्होंने कहा, “हम देव साहब को एक उत्साही और मिलनसार व्यक्ति के रूप में जानते थे, जो हम सभी से प्यार करते थे, चाहे वह साहब हों, नसीमजी हों या मैं। उनकी पसंदीदा पंच लाइन थी ‘अरे, हमें मिलना ही चाहिए, लेकिन ऐसा कभी-कभार ही होता है।”
सायरा ने आगे कहा, “शंकर मुखर्जी की ‘प्यार मोहब्बत’ के लिए, साहब और मैं बंबई से अदन तक एक विशाल जहाज पर फिल्मांकन कर रहे थे, यात्रा कुछ दिनों की थी और इतने में ही हमें अपना काम ख़त्म करना था।
‘प्यार मोहब्बत’ 1966 में बनी शंकर मुखर्जी द्वारा निर्मित और निर्देशित फिल्म है। इसमें देव आनंद और सायरा बानो प्रमुख भूमिका में हैं।
उन्हाेंने कहा, ”देव साहब एक शर्मीले स्वभाव के व्यक्ति थे, उन्हें लगता था कि काम शुरू करने से पहले उन्हें भीड़ के चेहरों से परिचित होना होगा। उन्होंने कहा कि शंकर मुझे आराम करना होगा और इन विदेशियों के चेहरों की आदत डालनी होगी।अगले दिन शंकरजी और मैं उनके केबिन में गए और उनसे बात की। मैंने कहा ‘देखो तुम्हें मुझे उठाकर स्विमिंग पूल में फेंकना होगा और समय जल्द ही समाप्त हो रहा है, जहाज एक दिन के समय में अदन पर उतरेगा और हमें सामान पैक करना होगा।”
सायरा ने एक किस्सा साझा किया कि उन्होंने विजय आनंद द्वारा निर्देशित और देव आनंद द्वारा निर्मित 1965 की रोमांटिक ड्रामा ‘गाइड’ को क्यों अस्वीकार कर दिया, जिन्होंने फिल्म में वहीदा रहमान के साथ सह-अभिनय किया था।
उन्होंने कहा, “सौभाग्य से देव साहब हमेशा मुझे अपनी फिल्म में एक भूमिका देते थे, इसका एक अच्छा उदाहरण ‘गाइड’ था, जिसके लिए टेड डेनियलवस्की मुझसे फिल्म के लिए पूछने के लिए मेरी मां के नेपियन सी रोड हाउस ‘सी बेले’ में आए थे। उस समय मुझे मेहबूब खान की ‘हब्बा खातून’ करनी थी, जो कश्मीरी कवयित्री की कहानी थी और कश्मीरी राजकुमार यूसुफ चक की भूमिका साहब को निभानी थी। यह मेरी प्राथमिकता थी और इसलिए मुझे ‘गाइड’ को अस्वीकार करना पड़ा।”
भविष्य में और अधिक कहानियों का वादा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं इससे खुश हूं क्योंकि मुझे लगता है कि इस भूमिका को करने के लिए मैं बहुत छोटी होती। इसी तरह मैं ‘तीन देवियां’ या ‘ज्वैल थीफ’ नहीं कर सकी। अब देवजी के साथ एक और मजेदार घटना है, उसके बारे में कल लिखूंगी।”
–आईएएनएस
एमकेएस