जयशंकर ने पुल-निर्माता, दक्षिण की आवाज के रूप में बहुध्रुवीय दुनिया में भारत के लिए एजेंडा तय किया
संयुक्त राष्ट्र, 26 सितंबर (आईएएनएस)। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बहुध्रुवीय दुनिया के लिए एजेंडा तय किया, जहां भारत एक नेता और पुल-निर्माता दोनों है और दक्षिण की आवाज है, क्योंकि वे मंगलवार को विश्व मंच पर अपना दावा करते हैं।
इस बहुध्रुवीय विश्व में उभरते भारत की भूमिका की कल्पना करते हुए उन्होंने कहा, “जब हम एक अग्रणी शक्ति बनने की आकांक्षा रखते हैं, तो यह आत्म-प्रशंसा के लिए नहीं है, बल्कि अधिक जिम्मेदारी लेने और अधिक योगदान देने के लिए है”।
उन्होंने कहा, “सभी राष्ट्र राष्ट्रीय हितों का अनुसरण करते हैं। हमने, भारत में इसे कभी भी वैश्विक भलाई के साथ विरोधाभास के रूप में नहीं देखा है।”
भारत ने दिखाया है कि कैसे वह खुद को अन्य शक्तियों से अलग करता है, कैसे उसने दुनिया को टीके उपलब्ध कराने के लिए ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन जैसे प्रयासों के माध्यम से कोविड के दौरान अपनी क्षमताओं का उपयोग किया, जिसे व्यापक समर्थन मिला है।
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति में सत्र के आखिरी दिन भारत की ओर से महासभा की वार्षिक उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे।
भारत की विदेश नीति के विकास का पता लगाते हुए उन्होंने कहा, “गुटनिरपेक्षता के युग से, हम अब विश्वमित्र, दुनिया के मित्र के युग में विकसित हो गए हैं।
“यह राष्ट्रों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ जुड़ने और जब आवश्यक हो, हितों में सामंजस्य स्थापित करने की हमारी क्षमता में परिलक्षित होता है। यह क्वाड के तेजी से विकास में दिखाई देता है, एक तंत्र जो आज इंडो-पैसिफिक (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के लिए बहुत प्रासंगिक है।”
उन्होंने कहा, “यह स्वतंत्र विचारधारा वाले देशों के समूह ब्रिक्स के विस्तार या वास्तव में आई2यू2 (भारत, इज़राइल, अमेरिका और यूएई के) संयोजन के उद्भव में भी समान रूप से स्पष्ट है। हाल ही में हमने भारत मध्य पूर्व यूरोप, आर्थिक गलियारे के निर्माण की मेजबानी की” जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने जी20 शिखर सम्मेलन में की थी।”
उन्होंने कहा, “विशिष्ट डोमेन पर खुले दिमाग से काम करने की यह इच्छा अब उभरती बहुध्रुवीय व्यवस्था की एक परिभाषित विशेषता है।”
मौजूदा वैश्विक शक्ति संरचना को चुनौती देते हुए जयशंकर ने महासभा को बताया, “अभी भी कुछ राष्ट्र हैं जो एजेंडा को आकार देते हैं और नियमों को परिभाषित करना चाहते हैं। यह अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता, न ही इसे चुनौती दिए बिना जारी रहेगा। एक बार जब हम सब इस पर ध्यान देंगे तो एक निष्पक्ष, न्यायसंगत और लोकतांत्रिक व्यवस्था निश्चित रूप से सामने आएगी।”
जयशंकर ने भारत के प्रयासों की ओर इशारा किया, जिसके परिणामस्वरूप अफ्रीकी संघ को जी20 के सदस्य के रूप में प्रवेश मिला।
उन्होंने कहा कि उस महाद्वीप को स्थायी सदस्यता देने के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र में इसे प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए।
उन्होंने चंद्रयान 3 के चंद्रमा पर उतरने का उल्लेख “हमारी प्रतिभा और रचनात्मकता अब स्पष्ट रूप से उजागर होने” के संकेत के रूप में किया।
(संवाददाता अरुल लुइस से arul.l@ians.in पर संपर्क किया जा सकता है और @arulouis पर फ़ॉलो किया जा सकता है)
–आईएएनएस
एसजीके